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________________ त्रीजु चरण : अह लहु सविहागयहँ तहँ սն սն սն,–, մմ ६+४+३ = १३ चोथु चरण : आसणु वियरावेइ -- uu uu,--, ६ + ४ + १ = ११ प्रास सदावेइ-वियरावेइ विशिष्टता उपर्युक्त स्वरूप रसाछंद माटे सर्वमान्य छे. मान्य छंदोमंथे गां तेनुं निरूपण छे, अने अनेक प्रयोगोमां ते समर्थित थाय छे. हरिभद्रनो रखाछंदनो प्रयोग धणे भागे नियमानुसार छे, पण थोडेक अंशे तेमां अपवाद छे. थोडांक स्थळे मात्राछंदनुं बीजुं अने त्रीजु चरण वे नहीं पण एक ज चरण होय, भने ते ज प्रमाणे चो, अने पांचमुं मळीने पण एक ज चरण श्रतुं होय तेवो व्यवहार जोवा मळे छे. ते ज रीते दोहाछंदमां पण हरिभद्र पहेलं अने बोजु मळीने एक, अने त्रीजु अने चो) मळीने एक-एम बे ज चरण होय (चार नहीं) परीते कोईक वार रचना करे छे. आम एवे स्थळे तेने मते मात्राछंद त्रिपदी होय, दोहाछंद द्विपदी होय अने समग्र रखाछंद पंचपदी (एटले के पांच चरणनो) होय एवो व्यवहार जोवा मळे छे. उदाहरण तरीके बीजु अने श्रीजु चरण : . . कत्थूरिय-अगरु-सिरिखंड-पंक-फल-कुसुम-दामिहि (४८८) . थिर-चित्तिण-सीह-अवलोइएण वि हु ति न निरिक्खिय (७६७). त्रीजुं अने चोथु चरण । ता कण्णय गणइ अणुसरिवि लज्ज अज्जवु निसग्गिउ (६१७) छट्टुं अने सातमुं चरण . तं निब्भर-दुह-पसर-परिपूरिय-गल-सरणीउ (४४६) . असणिवेग-अगिहाणु खयराहियु गरुय-मरक्ष (६४५) जक्खहं सोलस-सहस परिसंखहँ आणकराह (७५४) आठमुं अने नवमुं चरण : भणइ स-सज्झासु कुमरु ससिमुहि वयणिहिं सरसेहिं (५२१) निरुवम-लक्खणु पयड-अभिहाणु जलहिकल्लोल (५२७). विहुरिय-अंगोवंगु परिचिंतइ विविह-वियप्पु (६६९)
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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