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________________ ७६ नेमिनाee fre [७४२] अह पढंतिण बंदि - विंदेण गायंतिर्हि गायणिहि किज्जतिर्हि मंगलिहि मम्गण-सयहं मणिच्छियइ चक्क - पहुहु नियट्टिय नच्चिरेर्हि नड - नह - जल्लिहिं | अकंय-सुकय-जण-हियय - सल्लिहिं || वियरिज्जंतर दाणि | इय मज्जणय - विहाणि ॥ [७४३] संख- सद्दिण मुणिय- मज्झण्ह कारि भेरि-रविण वसंत तूर - रवि नच्चणि - नड सयलेहिं य अहिगारिहहिं खेय - विणोय-रएहिं ॥ वार - तरुणि कहियम्मि अवसर । सेवम्मि गच्छति निय-घरि ॥ निय निय-ठाण - गएहिं । [७४४] लहु मिलतिहिं धामाणेहि पडिसवणिय-माण विहिं परिसोहिज्जं तियहि अग्गासणियग-वंभणिहिं सज्जीकिज्जतेहिं । किविणाणाह-चणीमगंहं भत्तिर्हि दिज्जतेहिं || वज्जिरेहिं अवसरिय-संखिहिं । अतिहि सत्तसालहिं असंखिहिं || [७४५] वार - तरुणिहिं सारविज्जति निव-भोयण - वेइयए भुंजय-जणि आगयइ तुरिउ चकोर - पंजरिर्हि वायस - पिंडिहिं तरु- सिहर - फलगि खिंविज्जंतेहि ॥ वेज्ज- मंत-वाइएहिं पहुत्तिहिं । वसदेव - आइहिं हुंतिहिं || संचारिज्जतेहिं | ७४२. २. क. गातिहि ; ४. क. किज्जतिहि. ९. इमय. ७४४ २. क. माणविहि. ९. क. भत्तिहि ख. भात्तहिं. ১২
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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