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________________ ७४१] [७३८ ] एत्थ - अंतरि तियस पहु-संहह मज्झमि विसुर कुमर नणु माणव - मेत्तयह तियसराय-वयण-स्वणकुहिं संक पत्थु - विसर संणतुकुमारचरि सिरि गयउर-नयरि लहु संभालिय दो वित तणु पवेसावि लहु व तक्खणु सणतुकुमारिण वि दोणि किंचि संजाय मच्छर । इहु घडे कह इय विर्चितिर || समणतरु पसरंत । तयणंतरू तुरंत || ॥ [७३९] तियस सत्तिण वय-रूवेण पत्त तयणु दोवार - पालिण । चक्क हि ते अइर-कालिण || जवणिय- अंतरिएण | कारिय-मज्जणएण || [७४०] साहह केण कज्जेण भहिं हरिस - वियसंत-लोयण दिट्ठ-चलण - अंगुड वंभण ॥ अवलोयण- कज्जेण । . जंपिउ चक्करेण || भणिउ इह आगय तुब्भि अह लहु जवणिय-अंतरिण जह - - पहु तुह रूव-स्सिरिहि दुरह आगय अम्हि अह [७४१] एहु जइ ता तुम्हि अवरण्डि दो विभअत्थाण मंडवि । सव्व-अंग - सिंगारु पुणरवि ॥ सुणिवितियस ते ताव ! आगच्छह मह पुर जिह पेच्छह मई विहियइय चक्काहिव भासियउं महिं कर्हि चिचिक्कवह सहहं वईसड़ जाव | ७३८. १. क. पहह. ७४१. ४. क. मइ; ५. क. पुणुरविः ८. क. गमइहिं. ७५
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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