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________________ ७२ नेमिनाeafte [७२६] जेण पच्छिम-जम्मि किल जत्थ सुर-मंदिर आसि तुहुं गरुय-रिद्धि-वित्यरु पुरंदरु । सोहम्म तर्हि पिउनु हुयउ एहि सुर-नियर-सुंदरु | इय तुह गुरु- बंधव मइहिं कारावड़ पडिवत्ति | तह मह मुहिण महायरिण तुम्ह पयासर भत्ति || [७२७] इय सुविणु चक्कि परिओस त्रियसंत-वयणं बुरुहु कोसलीउ सयलु वि पडिच्छर । वेसमणह पुणु पत्ररु सन्सविहम्मि आसणु पयच्छइ ॥ एत्यंतरि सुरु वेसमणु अभिओगिय-तियसेहिं । जोयण-महिहिं समुद्धरिय रय- कयवर तणएहिं ॥ [७२८] वइर- मरगय-पुलय-वेरुलिय ससि सूरकंत-प्पमुह निय - किरणिहिं अवहरिय वरि निरुम- निय-महिम अहिसेयहं मंडवु विहिउ पंच- चन्न-रणिहिं विणिम्मिड | तिमिरु रयण- पेढरं कराविउ 1निज्जिय-तियस विमाणु । तिहुयण- सिरिहि निहाणु ॥ [७२९] तस्सु अंतरि पुण्य - दिसि समुहु सीहास संवि पायवीदु तहि पुरउ ठाविधि । सुमुहुत्तिण नर-रयणु पणय- पुण्व आणि निवेसिव अह खीरोय-महोयहिहि मणि-कंचण-कलसेहिं । आणेविधि निम्मलु सलिलु अभिओगिय-तियसेहिं ॥ • ७२७. २. क. 'वुरुहुं. ५. क. ख. सविहिंमि. [ ७२६
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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