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________________ ७२५] [७२२] सुइर- सचिय- सुकय- जोगेण भरहा हिवड़ - निय-नयरि संणतुकुमारचरिउ इयरो वि संपत्तउ एत्यंतरि सोहम्मिरण दिल तहा विह- सिरि-सुहउ सणतुकुमारु नरिंदु ॥ मह वयणिण भद्द लहु चक्किस्तु चरत्ययह [७२३] तयणु सायरु भणिउ वेसमणु उचिउ विहउ अइरिण समज्जिवि । कित्ति दय दह-दिहि विसज्जिवि ॥ सुर-राइण साणंदु | आयसिण निय-पहुहु सीहासण छत्त वर सणतुकुमारह एहु मह तह तुहुं तसु चक्काहिवड़- रज्जहिसेउ करेज्ज || कुंडल- चामर-पाउयहं पायवीट- स्यणिण सहिय पुरउ गंतु सहदेवि तण यह । सोल-सहस-वर- जक्ख- पणयह ॥ कोसल्लिउ वियरेज्ज | [७२४] ता कयत्थउ अप्पु मन्नंतु तुरि तुरि सहरिसु नमिषिणु । मउड हार- रयणाई वेष्पिणु ॥ जुयलई तह वर माल । विलसिर- सिरिहि वम्वाल || [ ७२५] गंतु गयउर-नयरि कुरु-स विणय-नमिरु वेसमणु जंपइ । पेसिउ म्हि तुह पुरउ संपइ || जस-कलसह पय-पुरउ सोहम्मिय- सुर-वरिण तह कोसल्लिउ दिog एहु पेसिउ तुम्ह जोग्गु । कारावि पुणु चक्कवड़ - रज्जहिसेउ उदग्गु || ७२४. ७. वणमाल. . ७१
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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