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________________ .नवकार मन्त्र नमो अरिहंतारणं। नमो सिद्धारणं। .. नमो. आयरियाणं। नमो. उवज्झायाम्। नमो लोए सव्व साहूरणं । . . । एसो पंच नमुक्कारो, सच पावप्पणासरणो।.. . मंगलारणं च सव्वेसि, पढमं हवई मंगलम् ॥ नमो - नमस्कार हो - अरिहंतामं . : ....- श्री अरिहंतों को । .: सिद्धाणं . - श्री सिद्धों को... . -आयरियाण: ..- श्री. प्राचार्यों को . ' : उवज्झायाणं ..- श्री उपाध्यायों को . . लोए सव्व साहूरणं - लोक में विद्यमान सर्व साधुओं को - एसो .. .. . - : इस प्रकार यह : . .. .. . पंच नमुक्कारो .. .- पांच पदों का नमस्कार - सव्व . ... .... -समस्त ... . . . . पावप्पणासणो ~ पापों का विनाशक है - और मंगलाणं सव्वेसि . - सब मंगलों में. पढमं.." - प्रथम मंगलम् . . -. मंगल.. ... हवइ ... . . - है। .:. जैन परम्परा में नमस्कार मन्त्र का बड़ा ही गौरवपूर्ण स्थान है। इसका दूसरा नाम नवकार मंत्र भी है। इस सूत्र में ६८ अक्षर हैं, आठ संपदा हैं व नव - पद हैं और पंच पद के १०८ गुण हैं। इन पांच पदों को पंच परमेष्ठी कहते हैं, 'परमे' अर्थात् परम पद (ऊँचे स्थान) 'परष्ठिन्' सामायिक - सूत्र /
SR No.010683
Book TitleSamayik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanendra Bafna
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year1974
Total Pages81
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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