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________________ प्रश्न-१ सामायिक में किस बात का त्याग किया जाता है ? प्रश्न का उत्तर तो सूत्र में ही सन्निहित है। फिर भी 'सावज्ज । जोगं पच्चक्खामि' शब्दों द्वारा सुस्पष्ट किया जाता है कि . सामायिक में हम सावद्य योग यांनी पापकारी व निन्दनीय कार्यों का त्याग करते हैं। .. . .... प्रश्न-२ श्रावक की सामायिक कितनी कोटि से होती हैं ? क्या इस सम्बन्ध में . कोई अन्य मत भी है ? .. .... उत्तर- श्रावक की सामायिक ६ कोटि (२ करण ३ योग) से होती है। इस सम्बन्ध में कहीं-कहीं ८ कोटि का भी उल्लेख किया गया है, पर यह ८ कोटि का भंग समझ में नहीं पाता । ४६ भांगों में ऐसा एक भी भंग नहीं है जिसका ८ कोटि के साथ साम्य बैंठ सके । ६ कोटि सामायिक का मत ही मान्य तथा तर्क संगत है। . प्रश्न-३ 'जावनियम' का अर्थ है जब तक मेरे नियम है तब तक, फिर यह ४८ मिनट का विधान क्यों ? यह अवधि सामायिक करने वाले की इच्छा पर क्यों नहीं ? . उत्तर- जावनियम के वीच सामायिक लेने वाले को मुहुर्त का उल्लेख करना होता है । एक-मुहुर्त ४८ मिनट का होता है। हम छमस्थ हैं । छमस्थ की किसी एक विषय पर स्थिरता की उत्कृष्ट अवधि एक मुहर्त मानी गयी है । अत: सामायिक रूप साधना का समय ४८ मिनट से अधिक नहीं रखा गया। यदि किसी को अधिक समय भी साधना करना हो तो वह वैसे ही मुहुर्त की संख्या बोल - कर एक से अधिक मुहुर्त तक सामायिक कर सकता है। . .. . हम साधना.पंथ के राही हैं। हमारा उद्देश्य उत्कृष्ट स्थिरता प्राप्त करना है अतः सामायिक का समय कम से कम ४८ मिनट रखा गया है। ताकि साधक यह अनुभव कर सके कि मैं इतना . आगे बढ़ा और इतना वढ़ना है। प्रश्न-४ योग किसे कहते हैं तथा ये कितने हैं ? उत्तर- योग क्रिया के साधन हैं। जिनके द्वारा आत्मा क्रिया में जुड़ती है .. वे मन, वाणी व काय के व्यापार योग कहलाते हैं। प्रश्न-५ करण किसे कहते हैं तथा ये कौन-कौन से हैं ? . . . उत्तर- क्रिया के रूप या प्रकार को करण कहते हैं। योग द्वारा जितने ..... रूपों में क्रिया की जा सकती है, वे रूप ही करण कहलाते हैं ये तीन होते हैं, जैसे- करना, करवाना तथा अनुमोदन करना । . 00 सामायिक-संत्र /४८
SR No.010683
Book TitleSamayik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanendra Bafna
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year1974
Total Pages81
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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