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________________ है 19 इसी प्रकार से आचार्य हेमचन्द्र ने वार्तिक का लक्षण इस प्रकार से दिया "उक्तानुक्तदुरुक्तानां व्यक्तिकारी तु वार्तिकम् ॥ राजशेखर के अनुसार .2 उक्तानुक्तदुरुक्तं चिन्ता वार्तिकम् । नागेश ने तो वार्तिक का लक्षण इस प्रकार से दिया है - "उक्तानुक्तदुरुक्तचिन्ताकरत्वं वार्त्तिकत्वम् "3 "वृत्तौ साधु वार्त्तिकमिति" इन वार्त्तिक लक्षणों में प्रायः सभी अर्थतः समान हैं । यहाँ पर वार्त्तिक शब्द की व्युत्पत्ति के लिए मनुस्मृति के द्वारा वार्त्तिक के लक्षण की व्यवस्था की गई है । वार्त्तिक शब्द प्रकृतिः वृत्तिः शब्दाः । कैट ने वार्त्तिक शब्द की ऐसी व्युत्पत्ति की है । अर्थों में प्रयुक्त होता है फिर भी यहाँ पर 'वृत्ति' शब्द का 'शास्त्र प्रवृत्ति' यह अर्थ सिद्ध होता है । इसलिए 'व्रत्ति समवायार्थे: यद्यपि वृत्ति शब्द अनेकों वर्णानामुपदेशः " ऐसा भाष्यकार .4 ने कहा है । " कापुनर्वृत्तिः शास्त्र प्रवृत्ति: ' इस वार्तिक का अर्थ कात्यायन ने भी इसी अर्थ में वृत्ति शब्द प्रयोग किया है । ਬਵ तत्रानुवृत्तिनिर्देशे सवर्णाग्रहणम्नत्वात् वार्त्तिक व्याख्यान परक कैयट ग्रन्थ से स्पष्ट होता है कि उक्त वार्त्तिक 1. हेमचन्द्र - हेम्बाब्दानुशासन । 2. राजशेखर - काव्यमीमांसा, पृष्ठ 11, पटना संस्करण | 3. नागेश उद्योत - 7/3/59 गु०प्र०सं०, पृ० 2/21 4. महाभाष्य की० सं०भा० 1, पृष्ठ 13. 5. भाष्यवास्तिक की० सं०भा० 1, पृष्ठ 16.
SR No.010682
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrita Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages232
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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