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________________ बृहस्पति ने भी अनेक शास्त्रों का प्रवचन किया था। उनमें से कतिपय शास्त्रों का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में उपलब्ध होता है, वे इस प्रकार हैं - सामगान, अर्थशास्त्र, इतिहास-पुराण, वेदाइग, व्याकरण, ज्योति, वास्तुशास्त्र, अगदतन्त्र । पत जलि के महामाष्य से ज्ञात होता है कि बृहस्पति' ने इन्द्र के लिए प्रतिपद पाठ द्वारा शब्दोपदेश किया था 12 उस समय तक प्रकृति-प्रत्यय का विभाग नहीं हुआ था । सर्वप्रथम इन्द्र ने ही शब्दोपदेश की प्रतिपद पाठ रूपी प्रक्रिया की दुरूहता को समझा और उसने पदों के प्रकृति-प्रत्यय विभाग द्वारा शब्दोपदेश प्रक्रिया की परिकल्पना की। 'वाग्वै पराच्यव्याकृतावदत् । ते देवा इन्द्रम् ब्रुवन् , इमा नो वाचं व्याकुर्विति ------ तामिन्द्रो मध्यतो वक्रम्य व्याकरोत् । ' उपर्युक्त कथन की व्याख्या सायणाचार्य ने इस प्रकार प्रस्तुत किया है - "तामबाडा वाचं मध्ये विधि 1. यही बृहस्पति देवों का पुरोहित था। इसने अर्थशास्त्र की रचना की थी। यह चक्रवर्ती मरुत्त से महले हुआ था । द्र0 महाभारत प्रानिपा, 7516 2. बृहस्पतिरिन्द्राय दिव्यं वर्षसहस्त्रं प्रतिपदोक्तानां शब्दाना शब्दपारायणं प्रोवाच। महाभाष्य 10 I, पा0 1, 30 1. 3. तैत्तिरीय संहिता, 6/4/.. .
SR No.010682
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrita Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages232
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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