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________________ का 13200 वि0पू01 व्याकरण-शास्त्र ने परिपक्वता प्राप्त कर लिया था। बाल्मीकि रामायण के अनुशीलन से यह बात प्रमाणित हो जाती है । रामराज्य में व्याकरणशास्त्र/ध्ययन अध्यापन विधिवत् हो रहा था ।' यास्कीय निरुक्त में महाभारतयुद्ध के समकालीन अनेक वैय्याकरण विशारदों का परिचय मिलता है 12 महाभाष्यकार महर्षि पत जालि ने व्याकरण शास्त्र के पठन-पाठन को चिरातीत से जोड़ा है। उपर्युक्त तथ्यों एवम् उपलब्ध ग्रन्योल्लेख/ से हम इस निष्कर्ष में पहुँच सकते हैं कि व्याकरण शास्त्र की आदि सृष्टि सुदीर्घ प्राचीनकाल में हो चुकी थी। तिथि एवम् काल निर्देश दुष्कर है किन्तु हम इतना स्पष्ट रूप से सकेतित कर सकते हैं । रामायणकाल में व्याकरण शास्त्र का पठन-पाठन प्रौढ़तम रूप से हो रहा था । 'व्याकरण' शब्द की प्राचीनता के विषय में इतना उल्लेख ही पर्याप्त होगा कि 'व्याकरण' शब्द का प्रयोग रामायण, गोपथब्राह्मण, मुण्डकोपनिषद, और महाभारत 'प्रभृति सुप्रसिद्ध ग्रन्थों में उपलब्ध होता है । 'व्याकरण' शब्द की प्राचीनता का प्रमाण । 'वेदाइगों' के अनुशीलन से भी प्राप्त होता है । वेदागों के : भेद बताये गए हैं i. रिक्षा, 2. व्याकरण, 3. निरुक्त, 4. छन्द, 5. कल्प 6. ज्योतिष्य। 1. नूनं व्याकरणं क्रित्त्नमन बहुधाश्रुतम् । बहु व्याहतानन न कि चदपि भाषितम् || किष्किंधाकाण्ड 3/29 11. . 2. न सर्वागीति गाग्योवैय्याकरणानां चैके - निरूक्त ।/12. 3. पुरा कल्परतदातीत, संस्कारोत्तरकालं ब्राह्मणा व्याकरणं समाधीयते । - महाभाष्य 30 1, पा0 1, 30 i.
SR No.010682
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrita Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages232
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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