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________________ जासूस मैं खुफिया पुलिसमें काम करता हूँ। मेरे जीवन के केवल दो ही लक्ष्य हैं-एक मेरी स्त्री और दूसरा मेरा व्यवसाय । पहले मैं एकान्नवर्ती परिवार या सम्मिलित कुटुम्बमें था । पर वहाँ मेरी स्त्रीकी कोई पूछताछ नहीं थी, इसलिए मैं अपने बड़े भाईके साथ लड़ झगड़कर अलग हो गया । भाई साहब ही कमाई करके हम लोगोंका पालन करते थे, इसलिए उनका सहारा छोड़कर जुदा हो जाना मेरे लिए एक तरहका दुःसाहस ही था । किन्तु मुझे अपने श्राप पर बहुत बड़ा भरोसा था । मैं अच्छी तरह जानता था कि जिस तरह सुन्दरी स्त्री मेरी वशतिनी है, उसी तरह भाग्यलक्ष्मीको भी मैं अनायाश ही वश कर लूँगा । इस संसारमें मैं किसीसे पीछे नहीं रहूँगा। पुलिसके महकमे में मैं एक मामूली सिपाहीकी हैसियतसे प्रविष्ट
SR No.010680
Book TitleRavindra Katha Kunj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi, Ramchandra Varma
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1938
Total Pages199
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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