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प्रमेयकमलमार्तण्ड
भी प्रभाचन्द्रकृत होनेकी संभावना की है, वह खास तौरसे विचारणीय है। यथावसर इन ग्रन्थोंके विषयमें विशेष प्रकाश डाला जायगा। अन्तमें मैं उन सब ग्रन्थकार विद्वानोंके प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता हूँ जिनके ग्रन्थोंसे इस प्रस्तावनामें सहायता मिली है।
फाल्गुनशुक्ल द्वादशी । न्यायाचार्य महेन्द्रकुमार शास्त्री.
आष्टाह्निकपर्व वीर नि० सं० २४६७) स्यावाद विद्यालय काशी.
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