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________________ आनन्दघन का भावात्मक रहस्यवाद सम्बन्ध में कहा है, प्रत्युत उपाध्याय यगोविजय एवं देवचन्द्र जी म० आदि ने भी प्रभु से प्रीति करने हेतु कहा है। देवचन्द्र जी म० ने भी आनन्दघन की भाँति चौबीसी की शुरुआत परमात्म-प्रीति से की है। वे लिखते हैं : ऋषभ जिणंदशुं प्रीतड़ी। प्रोति अंती पर थकी, जे तोड़े हो ते जोड़े एह । परम पुरुष थीं रागता, एकत्वता हो दाखी गुण गेह ॥' वस्तुतः अलौकिक प्रेमजन्य तल्लीनता ऐसी विलक्षण होती है कि द्वैतभाव या द्विधा भाव ही समाप्त हो जाता है। इस सम्बन्ध में आनन्दधन की यह मान्यता है कि जहाँ विशुद्ध आत्म-प्रेम होता है, वहाँ द्वैतभाव टिक ही नहीं सकता और न अहं की भावना विद्यमान रह सकती है ?२ अपरोक्षानुभूतिजन्य प्रेम तत्त्व का प्रत्यक्ष अनुभव कर लेने के वाद द्वैतभाव समाप्त हो जाता है। आत्मा का यह अनुभवगम्य प्रेममय रूप ही रहस्यवाद' का केन्द्र बिन्दु है। प्रेम जीवन की सबसे व्यापक वृत्ति है. क्योंकि प्रेम अनुभूति साध्य-विषय है। किन्तु प्रेम दो प्रकार का होता है-एक लौकिक अर्थात् ऐन्द्रिक वासनाजन्य प्रेम और दूसरा अतीन्द्रिय-अलौकिक या आध्यात्मिक प्रेम । आध्यात्मिक अनुभूति के क्षेत्र में आनन्दघन ने जिस प्रेम की चर्चा की है, वह वासनाजन्य प्रेम न होकर विगुद्ध-आत्निकप्रेम है । इसे आध्यात्मिक, अलौकिक और निरुपाधिक आत्म-प्रेम कह सकते हैं । प्रेम के सम्बन्ध में किसी को भ्रान्ति न हो एतदर्थ आनन्दघन ने स्पष्ट कहा है कि आत्म-अनुभव रूप प्रेम का वृत्तान्त कुछ निराला ही सुना जाता है। यह कोई साधारण सांसारिक प्रेम नहीं है जिसे प्रत्येक व्यक्ति अनुभव कर सके। आत्मानुभव रूपी प्रेम को तो स्त्री-पुरुष और नपुंसक-इन तीन वेदों से रहित निर्वेदी आत्म-ज्ञानी अथवा केवल ज्ञानी ही जान सकता है, अनुभव कर सकता है और जिसने एक बार इसका आस्वादन कर लिया है वह अनन्त काल तक इसका सम्वेदन करता रहता है - आतम अनुभव प्रेम को, अजब सुण्यो विरतंत। निरवेदन वेदन करे, वेदन करे अनंत ।। १. ऋषभजिन स्तवन, चतुर्विशति जिन स्तवन, सं० उमरावचन्द जरगढ़ । २. प्रेम जहां दुविधा नहीं रे, नहीं ठकुराइत रेज । -आनन्दघन ग्रन्थावली, ३६ । ३. आनन्दवन ग्रन्थावली, पद ७५ ।
SR No.010674
Book TitleAnandghan ka Rahasyavaad
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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