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________________ रहस्यवाद : एक परिचय १७ साक्षात्कार में नियोजित करता है तथा साक्षात्कारजन्य आनन्द एवं अनुभव को आत्मरूप में समस्त में प्रसारित करता है।"१ ___ डा० रामकुमार वर्मा रहस्यवाद की परिभाषा इस प्रकार प्रस्तुत करते हैं कि "रहस्यवाद जीवात्मा की उस अन्तर्हित प्रवृत्ति का प्रकाशन है, जिसमें वह दिव्य और अलौकिक शक्ति से अपना शान्त और निश्चल सम्बन्ध जोड़ना चाहती है और यह सम्बन्ध यहाँ तक बढ़ जाता है कि दोनों में कुछ भी अन्तर नहीं रह जाता।"२ डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल का रहस्यवाद के सम्बन्ध में कथन है कि “आध्यात्मिकता की उत्कर्ष-सीना का नाम रहस्यवाद है।"३ इसी तरह डा० पुष्पलता जैन का रहस्यवाद के सम्बन्ध में कहना है कि "रहस्य-भावना एक ऐसा आध्यात्मिक साधन है, जिसके माध्यम से साधक स्वानुभूतिपूर्वक आत्मतत्त्व से परमात्मतत्त्व में लीन हो जाता है।" रहस्यवाद के प्रकार रहस्यवाद की विविध व्याख्याओं एवं परिभाषाओं के आधार पर प्राच्य एवं पाश्चात्य विद्वानों द्वारा रहस्यवाद को विभिन्न रूपों में विभक्त करने का प्रयास किया गया है। किसी ने इसे योग से सम्बद्ध किया है तो किसी ने इसे भावनात्मक माना है। किसी ने काव्यात्मक रहस्यवाद के नाम से परिभाषित किया है तो किसी ने इसे मनोवैज्ञानिक रहस्यवाद कहा है। इस प्रकार, नारिकारों ने रहस्यवाद को एक नहीं, अनेक रूपों में देखने की चेष्टा की है, यथा-प्रकृतिमूलक रहस्यवाद, धार्मिक रहस्यवाद, दार्शनिक रहस्यवाद, साहित्यिक रहस्यवाद, आध्यात्मिक रहस्यवाद, रासायनिक रहस्यवाद, प्रेममूलक रहस्यवाद, अभिव्यक्तिमूलक रहस्यवाद आदि-आदि। ‘माडर्न इण्डियन मिस्टिसिज्म' (Modern Indian Mysticism) में रहस्यवाद के तीन प्रकारों की चर्चा की गई है १. भक्तिकाव्य में रहस्यवाद, भूमिका, पृ० ५। २. कबीर का रहस्यवाद, पृ० ३४ । ३. हिन्दी-पद-संग्रह, पृ० २० । आनन्द ऋषि अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ० ३३४ । »
SR No.010674
Book TitleAnandghan ka Rahasyavaad
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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