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________________ पं जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व एवं कृतित्व 1. 2. 3. देहरा तिजारा में सम्पन्न संगोष्ठी के तथ्य डॉ. नेमिचन्द्र जैन, खुरई पं. जुगल किशोर जी मुख्तार द्वारा की गई समीक्षायें विद्वानों को मील के पत्थर की तरह हैं। उनके भाष्य रचनाकारों के हार्द को समझने में सहायक हैं। श्री युगवीर द्वारा स्थापित प्रत्येक विद्या पर अलग-अलग शोध प्रबन्ध लिखवाये जा सकते हैं। विदुषां सगोष्ठी दग्धाष्ट- कर्मकान्तारं, तीर्थेशमष्टमं जिनम् । चन्द्रप्रभं जगत्पूज्यं भक्त्या वन्दे पुनः पुनः ॥ 1 उपाध्याय महं नौमि पूज्यं श्रीज्ञानसागरम् । येन महात्मना नित्यं क्रियते धर्म जागृतिः ॥ 2 लोकभोगान् परित्यज्य, सर्वोदयकृतव्रतः । मुमुक्षुर्वीतरागोऽयं, तस्मै नोऽस्तु नमो नमः ॥ 3 तिजारा तीर्थक्षेत्रेऽस्मिन् संगोष्ठी विदुषामियम् । प्रकाशचन्द्र जैन 9/304, सेक्टर-4, राजेन्द्र नगर, साहिबाबाद ( उ प्र ) विज्ञशीतल चन्द्रेण, आहूता सम्प्रति सादरम् ॥ 4 श्री जुगलकिशोरेण, मुख्तारोपाधिधारिणा । कृत साहित्य सेवायाः, चर्चाऽत्र संभविष्यति ॥ 5 जैन सिद्धान्त-मर्मज्ञः, तत्वान्वेषण- तत्परः । पुरातत्त्वेतिहासस्य XXV आसील्लेखको महान | 6 बहूनां प्राच्यग्रन्थानां, तेन सम्पादनं कृतम् । दीर्घ प्रस्तावनाश्चापि, बहुग्रन्थेषु सोऽलिखत् ॥ 7
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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