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________________ - - - 200 Pandik jugat Kishor Mukhtar Yugvoer" Personality and Achievements अन्तरंग में एक शब्दहीन हलचल बराबर हो रही है, जो समय पर अच्छा परिणाम लाये बिना नहीं रहेगी।" सभी ग्रंथों में निबद्ध वर्ण्य-विषय को आप्त पुरुष की वाणी न मानकर हमें उसका निर्णय करके ही अध्ययन, मनन और चिन्तन की दिशा में प्रवृत्त होना चाहिए। डॉ. नेमिचन्द ज्योतिषाचार्य ने लिखा है "निःसन्देह पं. जुगलकिशोर जी प्रकाण्ड विद्वान और समाज सुधारक हैं। उन्होंने अन्धविश्वासों और अज्ञानपूर्ण मान्यताओं का बड़ी ही निर्भीकतापूर्वक निरसन किया है। वे अपने द्वारा उपस्थिति किये गये तथ्यों की पुष्टि के लिए प्रमाण, तर्क और दृष्टान्तों को उपस्थित करते हैं। वे नये युग के निर्माण में अग्रणी चिन्तक तथा गवेषणापूर्ण लेखक हैं।" ___सत्य के दर्शन बड़े सौभाग्य से मिलते हैं। दर्शन होने पर उस तक पहुंचना बड़ी वीरता का कार्य है और पहुंच करके चरणों में सिर झुकाकर आत्मोत्सर्ग करना देवत्व से भी अधिक उच्चता का फल है। शास्त्र की प्रामाणिकता की परीक्षा आवश्यक है। पं. दरबारीलाल कोठिया ने लिखा है "रत्न-परीक्षा में हम जितना परिश्रम करते हैं उतना भाजी-तरकारी की परीक्षा में नहीं करते। बहुमूल्य वस्तु की जांच भी बहुत करना पड़ती है। धर्म अथवा शास्त्र सबसे अधिक बहुमूल्य हैं उस पर हमारा ऐहिक और पारलौकिक समस्त सुख निर्भर है। उसका स्थान मां एवं पिता से बहुत ऊंचा तथा महत्वपूर्ण है, इसलिए अगर हम सब पदार्थों की परीक्षा करना छोड़ दें तो भी शास्त्र की परीक्षा करना हमें आवश्यक ही रहेगा। 'शासनात् शंसनात् शास्त्रं शास्त्रमित्यमिधीयते' अर्थात् शब्द की व्युत्पत्ति दो धातुओं से हुई है। शास् (आज्ञा करना) तथा शस् (वर्णन करना)। शासन अर्थ में शास्त्र शब्द का प्रयोग धर्मशास्त्र के लिए किया जाता है। शंसक शास्त्र (बोधक शास्त्र) वह है जिसके द्वारा वस्तु के यथार्थ स्वरूप का वर्णन किया जाये। सूर्यप्रकाश ग्रंथ की अधार्मिकता और अनौचित्य का मुख्तार साहब ने सम्यक् प्रकार से दिग्दर्शन कराया है। मोक्षमार्ग में सम्यक् श्रद्धा कार्यकारी है
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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