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________________ 155 प जुगलकिशोर मुख्तार "युगधीर" व्यक्तित्व एवं कृतित्व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, मैथिलीशरण गुप्त, बालकृष्ण शर्मा "नवीन", रामधारी सिंह दिनकर आदि कवियों ने भी अछूतों का उद्धार करने का प्रयास किया है। मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी रचना भारत भारती में मानव समाज व्यवस्था का जीर्णोद्धार करने का प्रयास किया है - "ब्राह्मण बढ़ावें, बोध को, क्षत्रिय बढ़ावे शक्ति को, सब वैश्य निज वाणिज्य को, त्यों शूद्र भी अनुरक्ति को। यों एक मन होकर सभी कर्तव्य के पालक बनें। तो क्या न कीर्ति-वितान चारों ओर भारत के तनें?" (भारत भारती, पृष्ठ 167) तथा - "इन्हें समाज नीच कहता है, पर है ये भी तो प्राणी। इनमें भी मन और भाव है किन्तु नहीं वैसी वाणी।" (पंचवटी "गुप्तजी" पृष्ठ 16) बालकृष्ण शर्मा नवीन ने भी समाज की प्राचीन वर्ण व्यवस्था का समर्थन किया और इस वर्ण व्यवस्था का आधार कर्म को माना, जन्म अथवा जाति को नहीं। नवीन जी ने सभी वर्गों के आदर्शों और कर्तव्यों का विस्तार से निरूपण किया है - "समाजीय-प्रगति-रथ के जो यहाँ सारथी हैंपुण्य श्लोक का गहन जिसकी पुण्यदा भारती हैवे हैं सु ग्राहमण दृढ़वती, धर्मधारी तपस्वी, योगाभ्यासी, विगत कामा. तत्वदर्शी मनस्वी।" (उर्मिला महाकाव्य - दशम सर्ग पृष्ठ 18)
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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