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________________ 122 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements उपसंहार - अन्त में यह दृढ़ता के साथ कह सकता हूँ कि "मेरी भावना" सरस्वती के परम आराधक, महाकवि, आचार्य श्री "युगवीर" की कालजयी कृति है। इसमें कवि ने संसार के धार्मिक पक्षों को ग्रहण कर उनके सार (तत्व) को भर दिया है। उन्होंने इसमें राष्ट्रीयता, विश्वबन्धुता, साम्यभाव, सहिष्णुता, परोपकार, न्यायप्रियता, निर्भयता आदि-आदि सभी जग सहितकर भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान कर हम सबका परमोपकार किया है। यह मां भारती का श्रृंगार है, इसमें माधुर्य का मधुर निवेश है, प्रसाद की स्निग्धता है, पदों की सरस सज्जा है, अर्थ का सौष्ठव है, अलंकारों का मंजुल प्रयोग है। यह रचना "यावच्चन्द्र दिवाकरौ" जन-जन का कण्डहार बनी रहेगी। मैं "मेरी भावना" के रचयिता सिद्धांताचार्य प्राक्तन-विद्या-विचक्षण, प्राच्य विद्या महार्णव पं. जुगल किशोर जी "मुख्तार"को शतश: प्रणाम करता हुए अपनी हार्दिक विनयांजलि अर्पित करता हूँ। सन्दर्भ-सूची 1 श्री प. जुगलकिशोर जी मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व और कृतित्व ? वही 3. वही 4. वही 5 वही 6. डॉ नेमिचन्द्र जैन, इन्दौर 7. मेरी भावना, प्रकाशक जैन समाज रेवाड़ी 8. क्रमांक एक के अनुसार १ डॉ. नेमिचन्द्र जैन, इन्दौर 10 वही 11. वही 12 वही
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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