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________________ 106 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer Personality and Achievements गुरुकुलों में प्रातः - सायंकालीन प्रार्थना के लिए मेरी भावना की अनुशंसा भी की थी। उन्होंने महात्मागांधी से उसकी प्रशसा कर वहां के प्रार्थना गीत के रूप में स्वीकृत करने का अनुरोध किया था यह उल्लेखनीय है कि वैल्दी फिशर द्वारा स्थापित साक्षरता-निकेतन लखनऊ; जहाँ पर उत्तरप्रदेश शासन के कर्मचारियो को प्रशिक्षण दिया जाता है, वहाँ प्रतिदिन सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मेरी भावना की प्रार्थना की जाती है। मेरी भावना का अन्य भाषाओं में अनुवाद हो और मानव-समुदाय इसका अनुशरण करें, यही भावना है। - दाक्षिण्यं स्वजने दया परिजने शादयं सदा दर्जने प्रीतिः साधुजने नयो नृपजने विद्वज्जनेष्वायर्जवम्। शौर्य साधुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तता ये चैवं पुरुषाः कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः॥ एको हि दोषो गुणसन्निपाते निमज्जतीन्दोः किरणेष्विवांकः। गुणों के समुदाय में एक दोष चन्द्र की किरणों मे कलंक की तरह लीन हो जाता है। -कालिदास (कुमारसंभव, १।३) बन्धूनां गुणदोषयोरपि गुणे दृष्टिर्न दोषग्रहः। बन्धुओ के गुण और दोष में गुण पर दृष्टि डालनी चाहिए, दोषों पर नहीं। -कर्णपुर (चैतन्यचन्द्रोदय नाटक)
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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