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________________ २४ युक्त्यानुशासन गम्भीरार्थक और वह्वर्थक सूत्रोंके द्वारा हुआ है । सचमुच इस प्रन्थकी कारिकाएँ प्राय अनेक गधसूत्रोंसे निर्मित हुई जान पडती है, जो बहुत ही गाम्भीर्य तथा अर्थगौरवको लिये हुए हैं। उदाहरण के लिये ७वी कारिकाको लीजिये, इसमे निम्न चार सूत्रोंका समावेश है १ अभेद-भेदात्मकमर्थतत्त्वम् २ स्वतन्त्राऽन्यतरत्वपुष्पम् । ३ अवृतिमत्वात्समवायवृत्तेः (संसर्गहानिः)। ४ संसर्गहानेः सकलाऽर्थ-हानिः । इसी तरह दूसरी कारिकाओंका भी हाल है। मैं चाहता था कि कारिकाओंपरसे फलित होनेवाले गद्य सूत्रोंकी एक सूची अलगसे दीजाती, परन्तु उसके तय्यार करनेके योग्य मुझे स्वय अवकाश नही मिल सका और दूसरे एक विद्वान्से जो उसके लिये निबेदन किया गया तो उनसे उसका कोई उत्तर प्राप्त नही होसका। और इसलिये वह सूची फिर किसी दूसरे संस्करणके अवसर पर ही दी जा सकेगी। आशा है प्रन्थके इस संक्षिप्त परिचय और विषय-सूची परसे पाठक ग्रन्थ के गौरव और उसकी उपादेयताको समझकर सविशेष-- रूपसे उसके अध्ययन और मननमे प्रवृत्त होंगे। जुगलकिशोर मुख्तार ता०२४-६-१६५१ देहली
SR No.010665
Book TitleYuktyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1951
Total Pages148
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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