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________________ अनेकान्त-रस-लहरी (४) बड़ा और छोटा दानी उसी दिन अध्यापक वीरभद्रने दूसरी कक्षामे जाकर उस कक्षाके विद्यार्थियोंकी भी इस विषयमे जाँच करनी चाही कि वे बडे और छोटेके तत्त्वको, जो कई दिनसे उन्हे समझाया जा रहा है, ठीक समझ गये है या कि नहीं अथवा कहाँ तक उसे हृदयगम कर सके हैं, और इसलिये उन्होने कक्षाके एक सबसे अधिक चतुर विद्यार्थीको पासमे बुलाकर पूछा--- एक मनुष्यने पाँच लाखका दान किया है और दूसरेने दस हजारका, बतलायो, इन दोनोमे बडा दानी कौन है ? विद्यार्थीने झटसे उत्तर दिया-'जिसने पाँच लाखका दान किया है वह बडा दानी हे ।' इस पर अध्यापकमहोदयने एक गभीर प्रश्न किया 'क्या तुम पाँच लाखके दानीको छोटा दानी और दस हज़ारके दानीको बडा दानी कर सकते हो ?" विद्यार्थी--हाँ, कर सकता हूँ। - अध्यापक केस ? करके बतलायो। विद्यार्थी-मुझे सुखानन्द नामके एक सेठका हाल मालूम है जिसने अभी दस लाखका दान दिया है, उससे आपका यह पाँच लाखका दानी छोटा दानी है । और एक ऐसे दातारको भी मैं
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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