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________________ (१००) महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी कृत. तिर्यच, मनुष्य अने देवताना भव करे; अनादि अनंत चार गतिमांज रझले, तेमांनाज वारमा वेहाणस मरण, तथा गीखपृष्ठ मरण ए ये कयां छे, तो गणांगे ठाणे वीजे उद्देशे चोथे ए वे मरणनी कारणे आजा करी. ए केम ? ११ भगवतीमां महाबल चौदपूर्वी ब्रह्म देवलोके गया, एम का; तो उववाइमा लांतकथी हेठाजाय नहीं.एम कडं ते केम? १२ श्रीउत्तराध्ययन छत्रीशमे पान पलांड लसण कंदे अनंतकाय कयां छ तथा पन्नवणा प्रथमपदे लसण प्रत्येके कयु छे. ए केम ? १३ श्री पनवणामां चार भाषा वोलतां आराधक कह्यो. तथा दशकालिक अध्ययन सातमे वे भापा वोलवी कही. ए केम? ४ दशवकालिक अध्ययन आठमे हाथ पग छेछ। होय, कान नाक काप्यां होय, सो वरसनी डोसी होय तेने पण ब्रह्मचारी वर्ने एम कर्जा छे अने श्री ठाणांगमां पांचमे गणे उद्देशे वीजे तो साधु पांच मकारे साध्वीने ग्रहतो अवलंबतो आज्ञा न अतिक्रमे. ए केम ? १५ उत्तराध्ययन वीजे अध्ययने रोग उपन्ये औषध न करे एवं की अने भगवतीमांतो वीजोरापाक प्रभुए लीधो. ए केम ? १६ दशवकालिके छठे अध्ययने एकभक्त भोजन कई अने कल्पसूत्रमा तो विकृष्ट तपवालाने सर्व गोचर काल कल्पे. ए फेम ! १७ कल्पसूत्रे थोडी थोडी दृष्टि थातां वहोरवा जाय एम कब्बु छ, अने दशवैकालिके अध्ययन पांचमे उद्देशे पहेले वरसतां वहोरवा न नाय. एम कडं ते केम ? १८ भगवतीमां शतक चौदमे उद्देशे सातम भात पाणीनां पञ्चक्खाण करीने आहार करे एम कथु, अने सिद्धांतमां तो व्रतभंगे महा दोप लागे एम कयु. ए केमी १९ पनवणामा अढारमा कायस्थिति पदे स्त्री वेदनी कायस्थितिना पांच आदेश कहा; ने सर्वज्ञना मतमां पाच वात शी ए फेम ? २० गणांगे पांचमे ठाणे उद्देशे वीजे राजपिड न लेबो एम कयु, अने अंतगड वर्ग छठे अध्ययन पांचमे गौतमजीए श्रीदेवीने घेर आहार लीघो. एकेम? २१ समवायांगमां ज्यां प्रभु विचरे त्यां चारे दिशाए इति न होय एम कथु छे, अने विपाकसूत्रमा तो पोते समोसरचा थका अभयसेन प्रमुख फेंम मारचा गया? २२ एम विपाकमा अध्ययन वीजे पण छे. ते फेटला लखाय ? एम श्री भगवतीमा मुनक्षत्र अने सर्वानुभूति समोसरणमां बल्या, पोताने लोहीखणवाडो थयो. ए वेम ? २३ तथा समवायांगमा उपासकनी नोंध छे, तेमां श्रावकनां चैत्य कहां छे अने उपासकमां तो नयी. ए फेम ? २४ भगवतीमां शतक आठमे उद्देशे छठे साधुने अमामुक अनेपणीक वहोरावतो धणी निर्जरा करे, अल्प पाप कर्म वांधे, एम कबुं छे अने ठाणांगे ठाणे त्रीजे उद्देशे पहेले साधुने अमामुक आपतो अल्प आयुप वांधे. ए केम ? २५ ठागांगे ठाणे पांचमे उद्देशे वीजे पांच महा नदी उतरवी ना कही, अने वली वीजा लगता सूत्रमा हा कही. ए केम ? २६ वली त्यांज वर्षाकाले रह्या तेहने ग्रामानुग्राम विचरवं न कल्पे वली कथन छे जे पांच कारणे कल्पे. ए केम ? २७ दशकालिके तथा आचारांगे विविधे त्रिविधे प्राणातिपात पञ्चक्खे तथा समवायांग दशाश्रुतस्कंधे नदी उतरवी कही ते ' मोकली राख्या विना उत्तरे. एकेमा २८ कल्पसूत्रमावर्षाकालमां निग्रंथने नवविगइ वारे
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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