SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 302
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय संज्वलन लोभ के अनुभागसत्व की कृष्टिकरण दिषि संचालन सोभ सम्बन्धी कृष्टियो की निक्षेपण विधि द्वितीयादि समयो मे निक्षेपण का कथन कृष्टिगत द्रव्यों के विभाग का निर्देश तृतीयादि समय मे कृष्टियो के विशेष रूपन पूर्वक निशंपद्रव्य के पूर्व अपूर्वगत सचि विशेष का कथन कृष्टियो का शक्ति सम्बन्धी प्रत्पबहुत्व कृष्टिकरण काल मे स्थितिवन्ध के प्रमाण की प्ररूपणा सक्रमणकाल सम्बन्धी अवधि का विचार लोभनय की उपशमन विधि सूक्ष्म साम्पराय मे किये जाने वाले कार्य विशेष सूक्ष्म साम्पराय गुण स्थान के प्रथम समय मे उदीयमान कृष्टियों का निर्देश द्वितीयादि समय मे उदयानुकृष्टि का निर्देश सूक्ष्मकृष्टि द्रव्य के उपशम की विधि एवं सूक्ष्मसाम्पराय के अन्त में कर्मों के स्थिति बन्ध का निर्देश ( ४ ) उपशान्तकपाय वीतरागी के कालक्षयरूप पतन कारण का प्ररूपण उपान्यरूपाय से गिरकर सूक्ष्मसाम्पराय गुण स्यान को प्राप्त जीव के कार्य विशेष पृष्ठ २२१ २२२ २२३ २२४ मानवेदक जीव के कार्य विशेष संज्वलन कोष में होने वाली क्रिया विशेष का विचार अवरोहक नवम गुण स्थानवर्ती के पुरुपोदयकाल सम्बन्धी किया विशेष स्त्रीवेद के उपशम के विनाश को प्ररूपणा नपुसकवेद के विनाश व उस समय होने वाली क्रिया विशेष उतरते हुए लोभसक्रमण, बधावति व्यतीत होने पर उदीरणा की प्ररूपणा २३८ | क्रमकरण के नाश का विधान २३२ २३४ २३५ २३७ २३७ २३९ २४० विषय अवरोहण (पतन) को घपेक्षा नवम गुण स्थान को प्राप्त जीव की क्रिया विशेष का कथन मायावेदक के क्रिया विशेष २४१ २४२ २४३ अवरोहक प्रनिवृतिकरण के चरम समय का स्थितिवन्ध प्रवरोहणापेक्षा प्रपूर्वकरण मे होने वाले कार्य विशेष पूर्वोक कथन का उपसंहार उपशान्तकपाय कब होता है ? इसका निर्देश उपशान्तकषाय गुण स्थान के काल का कथन करते हुए विशेष स्पष्टीकरण उक्त गुण स्थान मे उदय योग्य ५९ प्रकृतियो मे श्रवस्थित मनवस्थितवेदन वाली प्रकृतियो का विभाजन चारित्र मोहोपशामना परिशिष्ट अधिकार उपशान्तकषाय से अध पतन कथनाधिकारउपशान्तकपाय वीतरागी के भवक्षयरूप पतन कारण का विवेचन २५३ उपसमधे णि चढने वाले १२ प्रकार के जीवों की २५४ क्रिया में पाये जाने वाले भेद का कथन उपशम सी मे धल्पबहुत्व के कथन की प्रतिज्ञा २५५ पुरस्सर मल्पबहुत्व स्थानों का कचन ૨૪૬ २४९ पृष्ठ द्वितीयोपशम सम्यक्त्व के कालका प्रमाण द्वितीयोपशम सम्ययस्व से सासादन को प्राप्त जीव मरण का कपन करते हुए सासादनवर्ती जीव का मन्य गतित्रय मे मरण नही होने का कारण उप रिए से उतरते हुए जीव के सासादन की प्राप्ति का अभाव २५९ २६१ २६३ २६४ २६६ २६५ २७० अधःप्रवृत्तकरण के प्रथम समय मे अवस्थित गुण ि २८२ प्राचीन गुण के विशेष निर्देश २८४ स्वस्वान सवमी के गुण खि भायाम के तीन स्थान २६५ अवरोहरू अप्रमत्त श्रघ प्रवृत्तकरण में सक्रम २४४ विशेष का कपन २७१ २७४ २८० २=१ २०६ २०६ २८५ २८९ २९० २६७
SR No.010662
Book TitleLabdhisara Kshapanasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mukhtar
PublisherDashampratimadhari Ladmal Jain
Publication Year
Total Pages656
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy