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________________ विषय दर्शनमोहोराम के समय पाया जाने वाला स्थितिसत्त्व विशेष, प्रपूर्वकरण मे होने वाले कार्य विशेष, अन्तरकरण श्रादि का कथन दमोह के सक्रम सम्बन्धी विशेष कहापोह द्वितीयोपशमनम्नदृष्टि के विशुद्धि सम्बन्धी एकान्तानुवृद्धि काल का प्रमाण द्वितीयोपशम सम्यग्दृष्टि के विशुद्धि में हानि-वृद्धि का कथन प्रमुख कार्य उपशम रिग में होने वाले चारि मोहोपराम विधान मे पाये जाने वाले माठ कार्य पूर्वकरण में स्थिति काण्डक का कथन अनुभाग काण्डक प्रादि के प्रमाण का निर्देश पूर्वकरण के प्रथम समय मे गुण रिण निर्जरा का प्ररूपण पूर्वकरण मे बन्ध-उदय व्युच्छित्ति को प्राप्त प्रकृतिया निवृत्तिकरण के प्रथम समय मे होने वाले कार्यों का निर्देश निवृत्तिकरण गुग्ण स्थान के प्रथम समय मे कर्मों के स्थितिबन्ध-स्थितिसत्त्व के प्रमाण का कथन निवृत्तिकरण काल मे स्थितिबन्धापसरण के क्रम से स्थितिबन्धो के क्रमशः श्रल्प होने का कथन वासरण के विषय मे विशेष कथन स्थिति बन्धो के क्रमकररणकाल मे स्थिति बन्धो का प्रमाण उक्त प्रकरण मे श्रल्पबहुत्व प्ररूपणा सम्बन्धी विशेषताए द्वितीय क्रम का निर्देश अन्य क्रम के निर्देशपूर्वक पुनरपि क्रम भेद निर्दोश क्रमकरण के उपसंहारपूर्वक उसके अन्त मे होने वाली असख्यात समय प्रवद्धो की उदीरणा का सकारण प्रतिपादन ( ३ ) पृष्ठ १७२ १७४ १७५ १८० १७७ १७७ स्थिति बन्धा पसरण के प्रमारण का निर्देश स्थिति वन्धा पसरण सम्बन्धी विशेष कथन १७९ | नपु सवेदोपशामना के पश्चात् होने वाली स्त्रीवेदोपशामना का कथन स्त्रीवेद के उपशमन काल मे होने वाले कार्य विशेष १८० १७६ २०० १७६ | उदीरणा और उदयादिरूप द्रव्यसम्बन्धी अल्पबहुत्व २०१ स्थिति काण्डकादि के प्रभाव का निर्देश २.२ २०३ २०४ १८१ १८३ १८३ १८५ विषय देश घातिकरण का कथन अन्तरकरण का निरूपण अन्तरकरण की विधि का प्रतिपादन अन्तरकरण की निष्पत्ति के अनन्तर समय मे होने वाली क्रिया विशेष चारित्रमोहोपशम का क्रम उक्त क्रम मे सर्वप्रथम नपुंसक वेद का उपशम विधान १८८ १८५ १६० पुरुषवेद की प्रथम स्थिति मे दो श्रावलि शेष रहने पर होने वाली क्रियान्तर छह नो कषाय के द्रव्य का पुरुष वेद मे सक्रमित होने का निषेध १८६ | क्रोध द्रव्य के क्रम का विशेष २०५ सात नोकषायोपशामना एव क्रिया विशेष का कथन २०६ पुरुषवेद के उपशमनकाल के अन्तिम समय मे स्थिति बन्ध प्रमाण प्ररूपणा पृष्ठ १९१ १९३ १६५ उपशमनावली के अन्तिम समय मे होने वाली क्रिया विशेष मानत्रय का उपशम विधान प्रत्यावलि मे एक समय शेष रहने पर होने १८६ वाले कार्य १९७ १९६ माया की प्रथम स्थिति करने का निर्देश मायात्रय के उपशम विधान का कथन लोभय के उपशम विधान का कथन २०४ २०६ पुरुष वेद सम्बन्धी नवकबन्ध के उपशम का विधान २०६ अपगत वेद के प्रथम समय मे स्थितिबन्ध का कथन अपगतवेदी के अन्य कार्य २१० २११ २१२ २०८ २०८ २१३ २१४ २१६ २१७ २१८ २२०
SR No.010662
Book TitleLabdhisara Kshapanasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mukhtar
PublisherDashampratimadhari Ladmal Jain
Publication Year
Total Pages656
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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