SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खीनी चांच शोमभूषणसहित पूजामाता सौं जीवा करो. (१७) (९) लक्ष्मी महेनतवडे मेळg छु...पहेला जिननी मातानुं नाम मरुस्त्री बहु दुःख आपेछे. देवी छे. सेथी सासु लाकडी वडे वहुने हणे. | पंखीमो झाड उपर से छे. सरस्वती विद्यार्थीओने सुख आपेछे. | गंगा माता भलं करो. पानाचन्द जिनमदिनमा नाचे छे. । भरतक्षेत्रमा आज काल कल्पवृक्ष नथी. स्त्रीओ शरीरने आभूषणसहित | धूळ पाणीमां पडे छे. __ करेछे. | त्रिशला माता सौं जीवोनु कल्याण पृथ्वी धान्य आपेछे थी अमे . .. . सुखी छीए. लोको लक्ष्मीने पूजे छे. घडू सासुने विनर्यथी नमे छे.. शङ्कर गङ्गाने तथा चन्द्रनं माथामां पण्डित स्त्री पाप करती नथी. : .... राखे छे. (अमे) सरस्वतीने देखता नथी.. | तेओ बे रत्न माटे समुद्रमा डूबे छे. स्त्री घरमांथी राजाओना मुखने | हाथी नदी तरेछे : जुझे छे. . गङ्गा अहीं वहे छे. - नदी समुद्रमां जाय छे. . पण्डितो गङ्गाने पूछे, .. लक्ष्मी लोकोना नेत्रोने शांत करेछ. बुद्धि घणां सारा कामो करे. छे. .योगीओ रात्रिने इच्छेछे. मदनथी पीडाला लोको. रात्रिने पंखीओनी.पंक्तिने ब्राह्मण पाळे छे. पखाणे छे. अरे ब्राह्मण ! महादेवने शा सारु | पुत्र जन्मे छे. . . __ पूजतो नथी ? | कामदेव बधा जीवोने वश करेछे. आत्मविद्या लोकोने सुख आपेछे. .
SR No.010661
Book TitlePrakrit Margopdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1919
Total Pages195
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy