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________________ (२) साधारण सूचना.. _१ अहीं लखाता दरेक नियमो श्रीहेमचन्द्राचार्यविरचित सिद्धहेम व्याकरणने अनुसारेज जाणवा. प्राकृतमा (संस्कृतमां जेम थाय छे तेम) द्विवचननो प्रयोग थतो नथी, परंतु तेने बदले 'वे' संख्यानो वाचक 'द्वि' शब्द जोडी बहुवचनमा प्रयोग थायछे. __३ प्राकृतमां चतुर्थी विभक्तिने बदले षष्ठी विभक्ति वपरायछे, परंतु कोइ ठेकाणे चोयी विभक्तिनुं एकवचन संस्कृतनी तुल्य पण थायछे. ४ संस्कृत शब्द माहेला जोडाक्षरो प्राकृतमा विशेष नियमोयी फारफेर कर्या सिवाय वपराता नथी. ५ 'अस् (थर्बु )' धातुने छोडीने प्राकृतमा दरेक धातुओनी सरखी प्रक्रिया होवाथी अहीं गण, आत्मनेपद तथा परस्मैपढ़ संबंधी विभाग करवामां आवशे नहि. वर्णमाला. प्राकृतमां वपराता मूलाक्षरो नीचे प्रमाणेः अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ. व्यञ्जनक्, ख, ग, घ, ङ, च्, छ्, ज, झ्, , , , , इ, ण, त्, थ्, द्, ध्, न्: ५, फ, व्, भ, म्; . य, र, ल, व्, स्, ह.
SR No.010661
Book TitlePrakrit Margopdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1919
Total Pages195
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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