SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सू. ८-४-४२३] स्वोपनवृत्तिसहितम् १६९ हिअडा पइ एहु बोल्लिअओ महु अग्गइ सय-वार । फुट्टिसु पिए पवसन्ति हठं भण्डय ढक्करि-सार ॥ हेसखीत्यस्य हेल्लिः । हेल्लि म झङ्खहि आलु ॥ पृथक्पृथगित्यस्य जुअंजुअः ॥ एक कुडल्ली पञ्चहिं रुद्धी तहं पञ्चहं वि जुअंजुअ बुद्धी। बहिणुए तं घरु कहि किवँ नन्दउ जेत्थु कुडुम्बउ अप्पण-छन्दउं। मूढस्य नालिअ-वढौ ॥ जो पुणु मणि जि खसफसिहूअउ चिन्तइ देई न दम्मु न रुअउ । रइवस-भमिरु करग्गुल्लालिउ घरहि जि कोन्तु गुणइ सो नालिउ ॥ दिवेहिं विढत्तउं खाहि वढ ॥ नवस्य नवखः। नवखी कवि विसगण्ठि ॥ अवस्कन्दस्य दडवडः। चलेहिं चलन्तेहिं लोअणेहिं जे तई दिट्ठा बालि । तहिं मयरद्धय-दडवडउ पडइ अपूरइ कालि ॥ यदेश्छुडुः । छुडु अग्घइ ववसाउ ॥ सम्बन्धिनः केर-तणौ ॥ गयउ सु केसरि पिअहु जलु निश्चिन्तई हरिणाइं। . जसु केरएं हुंकारडएं मुहहुं पडन्ति तृणाई ॥ अह भग्गा अम्हहं तणा ॥ मा भैषीरित्यस्य मब्भीसेति स्त्रीलिङ्गम् । - सत्थावत्थहं आलवणु साहु वि लोउ करेइ.। आदन्नहं मब्भीसडी जो सजणु सो देइ ॥ यद्यद्दष्टं तत्तदित्यस्य जाइट्ठिआ। जइ रच्चसि जाइट्ठिअए. हिअडा मुद्ध-सहाव । . लोहें फुट्टणएण जिव घणा सहेसइ ताव ॥४२२॥ हुहुरु-घुग्घादय :शब्द-चेष्टानुकरणयोः ।।८।४।४२३।। अपभ्रंशे हुहुर्वादयः शब्दानुकरणे घुग्घादयश्चेष्टानुकरणे यथासंख्यं प्रयोक्तव्याः ॥
SR No.010651
Book TitlePrakrit Vyakaranam
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorParshuram Sharma
PublisherMotilal Laghaji
Publication Year
Total Pages343
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy