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________________ ६० ५१-४ ६-६ १० ११ १२ १३, १४ १५ १६ १७ १८ स्वयम्भू स्तोत्र उपजाति, ५ उपेन्द्रवज्रा उपजाति वंशस्थ १, ४, ५, उपजाति २,३ उपेन्द्रवज्रा १,३,४, उपजाति, २ उपेन्द्रवज्रा ५ इन्द्रवज्रा वंशस्थ रथोद्धता उपजाति वसन्ततिलका १-१८ पथ्यावक्त्र अनुष्टुप् १६.२० सुभद्रिका - मालती - मिश्र यमक उपर्युक्त (२ ,” (३) उपर्युक्त (२) उपर्युक्त (१) उपर्युक्त (२) (३) " उपर्युक्त (२) ११ (३) उपर्युक्त (१) रगरण, नगरण, रगण और लघु-गुरुके क्रमको लिये हुए एकादशवर्णात्मक चरण वृत्त का नाम 'रथोद्धता' है । उपर्युक्त (-) तगरण, भगण, जगण. जगण और अन्त में दो गुरुके क्रमको लिये हुए चतुर्दश - वर्णात्मक ( ८.६) 'वसन्ततिलका' है । चरणवृत्तका नाम अनुष्टुपके प्रत्येक चरण में आठ अक्षर होते हैं, जिनमें ५वां लघु, ६ठा गुरु और ७ वां अक्षर समचरणों ( २,४)
SR No.010650
Book TitleSwayambhu Stotram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1951
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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