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________________ गृहस्थ जीवन का उपक्रम | २५ एक साथ ही इन आठ श्रेष्ठियो ने अपनी-अपनी पुत्रियो ममुद्रश्री, पद्मश्री, पद्मसेना, कनकसेना, नभसेना, कनकश्री, कनकवती और जयश्री के विवाह के लिए जम्बूकुमार के पिता के पास प्रस्ताव भेजे । इतने प्रस्तावो को देखकर ऋषभदत्त और धारिणीदेवी को बडी प्रसन्नता हुई। उस युग मे पुरुष कई स्त्रियो से विवाह किया करते थे। अत जम्बूकुमार के माता-पिता के , समक्ष इन कन्याओ मे से किसी एक के चयन की समस्या नही थी। माता-पिता ने गम्भीरता के साथ इन आठो प्रस्तावो पर विचार किया। ये श्रेष्ठिगण तो जाने-माने थे और ऋषभदत्त का इन सबसे सीधा परिचय एव सम्पर्क था । इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के विषय मे वह भली-भांति जानता था । ये सभी प्रभुत्वसम्पन्न और प्रतिष्ठित परिवार थे और ऋपभदत्त का विचार था कि इन परिवारो के साथ सम्बन्ध होने से स्वय उसकी प्रतिष्ठा मे भी वृद्धि होगी। ये परिवार धर्मानुरागी, सुरुचिसम्पन्न और सुसस्कृत भी थे। अत धारिणीदेवी के समक्ष ऋषभदत्त ने अपनी ओर से इन प्रस्तावो पर स्वीकृति का भाव व्यक्त किया । अब तो धारिणीदेवी की ही भूमिका थी। उसे इन कन्याओ के विषय मे जानकारी प्राप्त करनी थी। उसने अपना कार्य बडे सौजन्य के साथ किया और इस निष्कर्ष पर पहुंची की रूप, गुणादि मे ये सभी कन्याएँ प्रत्यन्त बढी-चढ़ी है, सर्वगुणसम्पन्न हैं। इनमे से प्रत्येक जम्बूकुमार के योग्य है। वधुओ के रूप मे जब ये कन्याएँ हमारे घर आयेगी तो हमारे यहाँ मानो विभिन्न प्रकार के पुष्पो की वाटिका ही खिल उठेगी। उनकी मधुर वाणी से सारा भवन
SR No.010644
Book TitleMukti ka Amar Rahi Jambukumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni, Lakshman Bhatnagar
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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