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________________ ४४ क्यामखां रासा परिशिष्ट और बिलोचियों की सेना सहित फतहपुर पर चढ़ाई की और उसे हस्तगत कर लिया। चांदसिंहजीने यह समाचार सुन कर लाड़खानियों और अपने मामोंसे सैनिक सहायता ले कर फतहपुर के लिए प्रस्थान किया । सीकरसे बुधसिंहजी ससैन्य श्रा पहुंचे। फतहपुर पर आक्रमण करके कायम - खानियोंके हाथसे वह छीन लिया गया । तदनन्तर फिर संवत १८३१ में कायमखांनियोंने बादशाह शाहआलम ( द्वितीयसे ) मदद मांगी । उसने पीरूखां बिलोची और मित्रसेन अहीरको सेना देकर शेखावाटी पर भेजा । राव देवीसिंहजी शेखावत सेना सहित जयपुरकी सैन्य सहायता प्राप्त कर मैदानमें श्री गये । लडाई " मांडण" गांवमें हुई । लडाई होते-होते श्रन्तमें पीरूखां धराशायी हुआ और मित्रसेन भाग गया। अपने प्रमुखको भागा देख कर सेना भी पलायित हुई, इस तरह शेखावतोंने विजय पायो । तत्पश्चात् संवत् १८३६ में बादशाह शाह आलम द्वितीयने पुनः एक सेना कायम - खानियोंकी सहायता - स्वरूप शेखावटी पर आक्रमण करनेके लिए भेजी । शेखावतोंके पक्षमें जयपुरपतिकी भेजी हुई एक सेना और ससैन्य अलवर नरेश प्रतापसिंहजी श्राये । दोनों पक्षों में घमासान युद्ध हुआ । अन्तमें शाही सेनाकी पराजय हुई और उसका सेनापति निराश हो कर दिल्ली चला गया । एक सेना फिर कायमखानियों को सहायतार्थ दे कर संवत् १८३७ में बादशाह शाह श्रालम द्वितीयने शेखावाटी पर भेजी । राव देवीसिंहजी शेखावतोंको एकत्रित कर "खाटू" के मैदानमें आ डटे । युद्ध आरम्भ हो गया । सहस्त्रों मनुष्य दोनों तरफ मारे गये, परन्तु किसी पक्षको विजय नहीं हुई। दोनों तरफके योदा लड़ते-लड़ते बहुत अधिक थक चुके थे, निदान बादशाही सेना दिल्ली लौट गयी और शेखावत अपने स्थानोंको चले गये । (क) नवाबोंकी हैसियत । तहपुर पर नवाबोंने संवत् १७८७ तक २७९ वर्ष राज्य किया । इतने कालमें १२ नवाव गद्दी पर बैठे, जिनमें प्रारम्भके ८ तो शक्तिशाली और सामर्थ्यशाली हुए और बादके ४ कमजोर । नवाब अलिफखां ( फतहपुरका ७ वां नवाब ) सर्वश्रेष्ठ नवाब हुआ । इन नवाबोंकी हैसियत बहुत ऊंची थी । दिल्ली बादशाहोंके यहां भी ये नवाब ही कहलाए । दिल्ली दरवारमें नवाब वाजखां (२), नवाब अलिफखां और नवाब दौलतखां (२) बराबर जाते रहे । श्रपने समसामयिक सम्राटोंकी श्रोरसे इन्होंने अनेक लढाइयां वीरतापूर्वक लड और उनके लिए सम्मान पाया ।
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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