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________________ क्यामाखां रासा] दौलतखां चहुवानकै, कीजै कहा बखांन । दीनदार दातार है, पुनि जूझार दीवांन ॥५३१।। दौलतखाने गौर निरबांन मारे लूट चले नागौरके, गांव गोरि निरबांन । दौलतखां यह बात सुनि, चढ्यौ बजे निसांन ॥५३२॥ मारगमे घेरे सकल, गौर और निरवांन । मच्यौ जुद्ध नारद नच्यौ, पर्यो बहुत घमसांन ॥५३३॥ जीते अंत दीवानजू, दुर्जन मारे कूट । दौलतखां चहुवाननै, लूट लइ सब लूट ॥५३४॥ चढ्यौ अहेरै येक दिन, दौलतखां दीवांन । वाज कुही बहरी जुरे, बासे संग अनग्यांन ।।५३५।। बहरी छाडी कुंजको, गई निकट आकास । डिष्ट कहूं आवै नही, उठि आये तजि आस ॥५३६।। जात जात बहरी गई, उतरी जाइ हिसार । उतहि बुलावत बाजकू ठाढे मीर सिकार ॥५३७।। सौपी लै सिकदारकौं, राखी करिके प्यार । दौलतखां यह बात सुनि, लई हिसार कतार ॥५३८।। दौलतखां आगै मुहबतखां साराखांनी भाग्यो हौ सिंकदार हिसारको, नांव मुहबतखांन । साराखांनी सैन सजि, आयौ लरन पठान ॥५३६॥ दौलतखा यह बात सुनि, नासौ उतरे जाइ । उतते वहु उतते चढ़े, मिली सैन द्वै आइ ।।५४०॥ महबतखांन दूरत, देख्यौ दौलतखांन । मुख फीकौ उर धकधकी, बिचलन लागे प्रांन ।।५४१।।
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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