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________________ जीवसमासोमे भंगविचार इसमे मोहनीयके १० बन्धस्थान, ६ उदयस्थान और १५ सत्त्व. स्थान होते हैं जिनका खुलासा पहले किया ही है। अब इनके संवेधका कथन करते हैं-आठ जीवम्थानोमे एक २२ प्रकृतिक बन्धस्थान होता है और उसमे ८,९ और १० प्रकृतिक नीन उदयम्थान होते हैं। तथा प्रत्येक उदयस्थानमे २८, २७ और २६ प्रकृतिक तीन सत्त्वस्थान होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक जीवस्थानमें कुल मत्त्वम्थान नौ हुए। पाच जीवस्थानोमे २२ प्रकृतिक और २१ प्रकृतिक ये दो बन्धस्थान होते हैं। सो इनमे से २० प्रकृतिक वधस्थानमे ८,९और १० प्रकृतिक तीन उदयस्थान होते है और प्रत्येक उदयस्थानमे २८, २७ और २६ प्रकृतिक तीन सत्त्वस्थानहोते हैं। इस प्रकार कुल सत्त्वस्थान नौ हुए। तथा २१ प्रकृतिक वन्धस्थानमें ७,८ और प्रकृतिक तीन उदयस्थान होते हैं और प्रत्येक उदयस्थान में २८ प्रकृतिक एक सत्त्वस्थान होता है, क्योकि २१ प्रकृतिक वन्धस्थान मास्वादन गुणस्थान में होता है और सास्वादन गुणस्थान नियमसे २८ प्रकृतियोकी सत्तावाले जीवके ही होता है, क्योकि साम्वादन सम्यग्दृष्टियोके तीन दर्शनमाहनीयका सत्त्व नियमसे पाया जाता है अत यहा एक २८ प्रकृतिक सत्त्वस्थान ही होता है। इस प्रकार २१ प्रकृतिक वन्धस्थानमे तीन उदयस्थानोकी अपेक्षा तीन सत्त्वस्थान होते हैं। दोनो वन्धस्थानोकी अपेक्षा यहा प्रत्येक जीवस्थान मे १२ सत्त्वस्थान होते हैं। तथा संज्ञी पर्याप्त जीवस्थानमें मोहनीयके वन्धादि स्थानोके सवेधका कथन पहले के समान जानना चाहिये। जीवस्थानोमे मोहनीयके सेवेधमगोका ज्ञापक कोष्ठक
SR No.010639
Book TitleSaptatikaprakaran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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