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________________ ४२ सप्ततिकाप्रकरण [९] - - क्रम नं० वन्धप्र० वन उदयप्र० सत्त्वप्र० गुणस्थान अ० । श्र० । १, २, ३, ४.५,६] सा. २ १ , २, ३, ४, ५.६ - सा० । प० । २ । १ से १३ तक सा. सा० २ १ से १३ तक • अ० १४ द्विचरम समयतक __ . । । सा० सा० २ १४ द्विचरम समयतक - १४ चरम समयमें सा० सा० १४ चरम समयमें ७. आयुकर्मके संवेध भंग गाथामे की गई प्रतिज्ञाके अनुसार वेदनीय कर्म और उसके संवेध भंगोका विचार किया। अव आयु कर्मके बन्धादि स्थान और उनके संवेध भनोका विचार करते हैं-एक पर्यायमें किसी एक आयुका उदय और उसके उदयमें बंधने योग्य किसी एक आयुका ही वन्ध होता है, 'दो या दोसे अधिकका नहीं, अतः
SR No.010639
Book TitleSaptatikaprakaran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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