SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३-१-६० ईक्षुरस भी नहीं आज हवा बडी ठडी चल रही थी। थोडी-थोडी बूदे भी हो गई थी। सर्दी का तो मौसम है ही । इसलिए विहार में काफी परेशानी रही । पर कुछ साधुओ को इससे भी बढकर एक दूसरी परेशानी हो गई। वह थी ईक्षुरस की। ईक्षुरस यहा सुलभता से मिल जाता है। पर कुछ साधुओ के स्वास्थ्य के लिए वह अनुकूल नही रहा । अत उन्हे गहरा जुकाम हो गया। मुनि महेन्द्र कुमारजी को तो इतना गहरा जुकाम हो गया कि उनका सास फूलने लगा। ठहरने के स्थान पर भी बडी देरी से पहुचे । उनसे आगे चलना सभव नही था। अत मुनि श्री नगराजजी, मुनि श्री महेन्दकुमारजी आदि कुछ साधुनो को यहा रुकना पड़ा। इस परिस्थिति को देखकर आज आचार्यश्री ने सभी साधुओ को ईक्षुरस पीने का निषेध कर दिया। यहा अपरिचित क्षेत्र मे छोटे-छोटे गावो मे गडवड हो जाए तो सभालने वाला कौन मिले ? ये क्या महात्मा? पाहार से पहले भक्तसिंह नाम के एक सिख शरणार्थी दर्शनार्थ पाए। कमरे मे आते-आते उन्हे जरा सकोच हुआ । अत ठिठक गए, पर प्राचार्य श्री का स्मित-सकेत पाकर वे आश्वस्त हो आ गए, और अन्दर आकर बैठ गए । कहने लगे-आचार्यजी | आप साधु लोगो की भी अजब माया है। पिछले वर्ष यहा एक महात्मा आए थे । ठीक इसी जगह और इसी कमरे मे ठहरे थे। बडा ठाठ-बाट था उनका । अनेक नौकर-चाकर
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy