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________________ ७५ शन कर रहे है । उनकी प्रतिज्ञा है कि साठ वर्षों के कुछ भी नहीं लेंगे। मैं यह नही जानता कि हम उनके वहा पहुच सकेंगे या नही पर हमारा प्रयास है कि उस पहुच जाए । इसीलिए अभी हम कही वनारस जैसे बडे शहरो मे भी हम दो रात नही ठहरे है इस बार कन्नौज भी न जाए । नही रुक रहे है । टण्डनजी -- हम कन्नौजवासियो को फिर आपके दर्शन कब होगे ? आचार्य श्री - आप तो सरायमीरा मे आकर दर्शन कर सकते है । उन्होंने काफी आग्रह किया पर आचार्यश्री अभी कही जी० टी० रोड को छोडना ही नही चाहते हैं । कल दिल्ली से हनुतमलजी कोठारी आए थे और निवेदन किया कि दो फरवरी तक यदि आचार्य श्री दिल्ली ठहर सके तो वहा अच्छा कार्य - क्रम हो सकता है । राष्ट्रपतिजी से भी मुनिश्री बुद्धमल्लजी को वातचीत हुई थी । वे भी ३१ तारीख तक समय दे सकें ऐसा विश्वास है । पर आचार्य श्री ने कहा- अगर ३० तारीख तक कोई कार्यक्रम वने तो बनाया जा सकता है । इससे अधिक तो मैं वहा ठहर सकूं यह कम सभव लगता है | स्पष्ट है आचार्य श्री अभी राजस्थान पहुचने को अधिक महत्त्व दे रहे है । दूसरे सारे कार्यक्रम इतने प्रमुख नही हैं । दांत क्यों गिरता है ? कल - परसो आचार्य श्री का एक दात गिर गया था । अत रह-रह कर जीभ स्वत ही उस रिक्त स्थान की ओर जा रही थी। नएपन में श्राकर्षण तो होता ही है। आज आचार्य श्री कहने लगे - दात गिर जाना इस बात का संकेत है कि श्रव भोजन कम कर देना चाहिए। क्योकि दातो के विना भोजन अच्छी तरह से चवाया नही जा सकता। और चवाए विना भोजन का परिपाक ठीक तरह से नही होता । अत दात गिरने का रहस्य है भोजन मे कमी कर देना | बाद वे अन्न, जल स्वर्गवास से पहले समय तक वहा कानपुर और । अत चाहते है
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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