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________________ कार्यक्रम काफी लम्बा हो गया था। पद्मपतजी एकदम झुझला गये। कहने लगे हम आचार्यश्री का प्रवचन सुनने आये हैं कि इन दूसरे लोगो का ? सौभाग्य से कभी-कभी तो समय मिलता है, उसमें भी दूसरे लोग आचार्यश्री को नहीं सुनने देते । अन्त मे कार्यक्रम कुछ कम करना । पडा। कार्यक्रम का सयोजन अणुव्रत समिति के मत्री श्री भंवरलालजी सेठिया ने किया था। मध्याह्न मे पद्मपतजी से काफी देर तक बातें हुई। प्रणवत विहार' के बारे में काफी विस्तार से चर्चा हुई। मुनिश्री नगराजजी भी उस समय उपस्थित थे। पलायन से काम नही चलेगा रात मे डा० वागची डिप्टी सुपरिटेंडेंट, लाला लाजपतराय होस्पिटल, से काफी बातें हुई। डा० कहने लगे-प्राचार्यजी। मुझे भी आपके साथ ही ले लें। पद-यात्रा करता रहूगा और जैसा भी रोटी-टुकडा मिला करेगा खा लूगा । यहा के कलुषित वातावरण मे तो नहीं रहा जा सकता। आचार्यश्री-यह तो ठीक है पर पलायन करने से भी तो काम नही चल सकता। मैं यह नहीं चाहता कि काम-काज करने वाले बहुत सारे लोग अपना-अपना काम छोडकर मेरे साथ हो जाए । अणुव्रत की परीक्षा का समय तो वही है जव मनुष्य आपत्ति में भी अपने व्रतो का अच्छी प्रकार पालन कर सके। डाक्टर-आपका कहना भी ठीक है । पर आजकल हास्पिटलो का वातावरण इतना गन्दा हो गया है कि उसकी बदबू मे ठहरना कठिन हो जाता है। अभी एक बडे डाक्टर ने लोभ मे आकर एक अच्छे करोडपति नौजवान की निर्मम हत्या कर डाली, जो आज
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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