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________________ पैदल चलते है पर इन सेठ लोगो को भी पैदल चलाइए।" अभी प्राचार्य श्री के साथ काफी भाई-बहिन हैं । कुछ लोगो का तो यह प्रण है कि कुछ भी हो जाय हम तो पैदल ही चलेंगे। मित्र-परिषद् के सदस्यो की सेवा बडी सराहनीय है। वे लोग पैदल भी चलते हैं और यथासमय वाहनो का भी उपयोग करते है । पारमाथिक-शिक्षण-सस्था की बहिनें तो पैदल ही चलती रही है । महिला मण्डल की कुछ बहिनें भी पैदल ही चलती है। इसके सिवाय और बहुत सारे व्यक्ति भी पैदल चलते है । पुरुषो मे दौलतरामजी छाजेड, जसकरणजी लुणिया, ठाकुर चिमनसिंहजी, वृद्धिचदजी भसाली, रगलालजी (आमेट) आदि तथा महिलामो मे पानबाई, मिलापी वाई आदि कुछ बहिनें तो प्राय. पैदल ही चलती है। सर्व धर्म समभाव हमारे इस यात्री दल का एक विशेष सदस्य और है वह है सीताराम अग्रवाल । बडा मस्त भादमी है । ठे कलकत्ता से साथ मे है । बहुत दिनों से वह कलकत्ता से राजस्थान तक पैदल चलकर अपनी कुल देवी की अर्चना करना चाहता था। पर उसका अकेले का साहस नहीं हो सका। इस बार जव' आचार्यश्री राजस्थान आ रहे थे तो वह भी साथ हो गया। पहले उसका आचार्य श्री से कोई विशेष सम्पर्क ही नही हुआ था। पर अब तो इतना धुल-मिल गया कि पता ही नहीं चलता कि यह कोई नया आदमी है। धार्मिक दृष्टि से उसके विश्वास प्राचार्य श्री से भिन्न है । इसलिए कभी-कभी चर्चा भी चल पडती है पर व्यवहार मे यहाँ किसी का भेद नही है । यही तो सर्व धर्म समभाव की कल्पना का पहला प्राधार स्तम्भ है। एक पशु यात्री मनुष्य प्राणियो के अतिरिक्त एक पशु-प्राणी भी डालमियानगर से
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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