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________________ ७-१-६० पाद विहार और स्वास्थ्य भले ही वायुयान से यात्रा करने वाले लोग अपने गन्तव्य स्थल पर चहुत जल्दी पहुंच जाते है पर पद-यात्रा का जो लाभ है उसे तो वे नही ही पा सकते । इसीलिए आज आचार्य श्री कहने लगे-पैदल चलने का अपना प्राध्यात्मिक महत्त्व तो है ही, पर शारीरिक दृष्टि से भी वह हानिकारक नही है। थोडा-थोडा चलते रहने से मनुष्य जल्दी से रोगाक्रान्त नहीं हो पाता। यद्यपि पुरानी धारणाओ मे "पैडो भलो न कोस को" पन्थ समो नत्थि जरा" आदि कहकर नित्य पाद सचार को अकाम्य माना गया है। पर अनुभव यह कहता है कि थोडा-थोडा चलते रहना शारीरिक दृष्टि से भी बहुत लाभदायक है। उससे शक्तिक्षय नहीं होती अपितु शक्ति-सचय होता है। इसीलिए तो कलकत्ते से साथ रहने वाले कुछ भाई-बहिन अपने आपको पहले से कुछ स्वस्थ अनुभव करते हैं। हमे तो अभी जल्दी जाना है इसलिए वायु वेग से चल रहे हैं। पर दस-बारह मील रोज चलना कोई कठिन बात नही है। उससे अनेक लाभ है। भूख खूब खुलकर लगती है, नीद बडी सुखद आती है, चित्त वडा प्रसन्न रहता है, हवा स्वच्छ मिल जाती है जिससे फेफडे ठीक रहते हैं । शहरी लोगो ने पैदल चलने का अभ्यास छोड दिया है इसीलिए उनके लिए मील भर चलना भी कठिन हो जाता है । अगर चल भी लेते हैं तो थकान या बुखार साथ लेकर ही पाते है। इसीलिए तो नेहरूजी ने मुनि श्री बुद्धमल्लजी से कहा था-"आप तो
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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