SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 64
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गया । गठरी का एक छोर खोल कर उसने कुछ केले निकाले और उन्हें आचार्य श्री के चरणो मे चढाने लगा। इतने मे भाई लोग एक साथ बोल पडे- अरे । नही, नहीं इन्हे आचार्य श्री से मत छुप्राओ। और एक साथ दौडकर एकदम उसके हाथ पकडने लगे। वह तो बेचारा हक्का-बक्का रह गया। आचार्य श्री ने उन्हे उपालम्भ देते हुए कहा- मैं बैठा हूं तुम लोग क्यो चिन्ता करते हो? किसी को कुछ कहना हो तो शाति से कहना चाहिए कि यो झूम जाना चाहिए ? भाई लोग यह सुनकर दूर हो - गए । आचार्य श्री ने उसे समझाया-बाबा ' हम लोग सब्जी को छूते नही हैं अत दूर से ही बता दो क्या लाए हो? ___ बूढा- कुछ नही थोडे-से केले है महात्माजी | सुना था कि गांव में महात्मा लोग आये है तो विचार किया, चलो दर्शन कर आऊ । महात्मा लोगो के दर्शन खाली हाथ नही करना चाहिए। अत साथ में थोड़े केले और थोडे टमाटर ले आया। अपने खेत मे खूब टमाटर होते हैं महात्मा जी उनमे से ही अभी तोडकर लाया हूँ। प्राचार्यश्री सो तो ठीक । पर हम लोग तो सब्जी को छूते ही नहीं। बूढा-सन्जी तो ऋषि-मुनियो का भोजन है इसे क्यो नहीं छूते ? प्राचार्य श्री—इसमे जीव होते हैं । बूढा--तो क्या लेते है ? आचार्य श्री हम रोटी, उवाली हुई सब्जी, चावल भी ले सकते है। बूढा-तो हमारे घर चलिए वहा आपको सब कुछ मिल जाएगा। आचार्य श्री-पर अभी तो रात का समय है । अभी हम भिक्षा नही करते। बूढा-तो कव करते हैं ? आचार्य श्री सुबह सूर्य निकलने के बाद । बूढा-तो उस समय हमारे घर आना। रोटी तो नही पर दूध अवश्य मिल सकता है।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy