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________________ ३.१-६० जैसा कि कल रात को अदेशा था सुबह धुन्ध (धवर) न आ जाए 'वह आ ही गई। पिछली रात मे उठे तो देखा चारो ओर अधेरा-ही-अधेरा है । एक प्रकार की मीठी सुगन्ध भी धुन्ध के आ जाने की सूचना कर रही थी। वर्षा के बाद प्राय धुध आती है यह एक सामान्य धारणा है। वही आज सत्य प्रमाणित हो रही थी। सूर्य निकल गया पर हम आगे के लिए प्रस्थान नहीं कर सके । क्योकि धुध मे हमारा चलना निषिद्ध है । अत वही बैठे रहे । उपकरण सब समेट लिये थे । सव सैनिको की भाति सन्नद्ध बैठे थे। आचार्यश्री सकेत करे और हम सब एक मिनट मे चल पड़ें, ऐसी हमारी तैयारी थी। पर धुध के जल्दी से विखरने के कोई चिह्न नही दीख रहे थे। अत अपनी-अपनी नोट-बुके निकाल कर सव पढने लगे। विचार आया छोटी-छोटी जल की बूंदें भी महातेजा सूर्य को पाच्छादित कर एक बार उसे कितना निस्तेज बना सकती है । पर आखिर सूर्य सूर्य है। धुध के बादल-जाल को हटना पडा । आकाश कुछ-कुछ स्पष्ट होने लगा । धुध के बादल बधकर इकट्ठे हो रहे थे। करीब साढे नौ बजे तक धुध ने हमे वहा रोके रखा । फिर जब तैयार होने का शब्दसकेत हुआ तो हमने अपना-अपना सामान अपने को पर लाद लिया और आगे के लिए चल पडे । रात मे प्राचार्यश्री के पास एक किसान आया था। उसके गले विलकुल पास में ही पेले जा रहे थे। अत प्रात काल उसने हमसे निवेदन किया कि हम चाहे तो उसके यहा से गन्ने का रस ले सकते है ।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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