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________________ ३०-१२-५६ प्रातःकाल गुरुवन्दन के समय आचार्यश्री ने सभी साधुओ को गिक्षा देते हुए कहा-मैं जानता हूँ आजकल साधुओ को वहुत चलना पड़ता है । चलने से वे थक भी जाते है । थकने पर गर्म पानी से पैर भी धोना चाहते है । पर यह सभव नही है कि सभी साधु गर्म पानी से पैर धो सकें। क्योकि पानी तो हमे आखिर गृहस्थो से ही मिलता है । हमारे लिए वे पानी गर्म कर नही सकते । कर भी दें तो हम ले नहीं सकते। अत अच्छा हो सभी साधु पैर धोने का प्रयत्न नही करें। जो साधु बूढे है या अधिक थक जाते है उनको तो मैं निपेध कैसे कर सकता हूँ? पर सशक्त साधु पैर न धोए तो अच्छा रहे। हम यदि गृहस्थो का सारा पानी ले आयें तो वे भी थके हुए पाते है वे फिर पैर कैसे धोयेंगे ? कुछ वे सकोच करते हैं तो कुछ हमे भी सकोच करना चाहिए । आज शाम को हम इलाहाबाद पहुँच गये। वहाँ निरजनदास सेठ के मकान पर ठहरे । यहा जैन-मिलन के सदस्यों ने अच्छा स्वागत किया। यद्यपि जैन मिलन के सदस्य अधिकतर दिगम्बर ही है पर फिर भी उनको आचार्यश्री के प्रति अगाध श्रद्धा है। वे लोग काफी दूर तक स्वागत के लिए सामने भी आये थे। निरजनदासजी भी वैसे वैदिक धर्म मे विश्वास करते है । पर सम्पर्क में आकर वे भी काफी आकृष्ट हो गए है। जब हम पिछली वार आये थे तो लाला गिरधारीलालजी के माध्यम से उनसे सम्पर्क हुआ था। उस समय भी हम उनके सिनेमागृह के मकान के , ऊपर ही ठहरे थे। इस बार उन्होंने स्वय अपने मकान का कुछ भाग खाली कर दिया था इसलिए हम उनके घर पर ही ठहरे।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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