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________________ ___ दस-दस पन्द्रह-पन्द्रह मील वल्कि कभी-कभी तो इससे भी अधिक चलना पडता है । अत गति मे स्फूर्ति तो रखनी ही पड़ती है । वोझ-भार हमारे कधो पर देखकर कुछ लोग समझते है कि महात्माजी स्टेशन जा रहे हैं, सोचते हैं कही गाडी निकल नही जाए । इसीलिए तेज चलते हैं। एक भाई ने कहा-महात्माजी इतनी जल्दी क्यो करते है गाडी छूटने मे तो अभी बहुत देरी है। ___उसे समझाया-भैया | हमारी गाडी तो छूट चुकी । अव लेट न हो इसलिए तेज चल रहे है ।। वह भाई-क्या मतलब आपका? हम यह है कि हम तो पैदल ही चलते हैं। अगले गाव जल्दी पहुंच जाए इसलिए स्फूर्ति से चल रहे हैं। एक-दो साधुयो को छोडकर प्राय सभी साधु खूब तेज चलते है। कुछ श्रावक लोग तो हैरान रह जाते है कि आचार्य श्री कितने तेज चलते हैं ? हम तो दौडकर भी उनका साथ नही कर सकते । इसीलिए कुछ लोग तो पैदल चलने से घबरा जाते है। कुछ बहने बडी साहसी है। धीरे चलती हैं तो भी सवारी पर नहीं बैठती। कभी-कभी तो वे पहुँचती हैं इतने मे हम फिर चलने की तैयारी कर लेते है। सचमुच आचार्य श्री की पदयात्रा ने अनेक लोगो के मन मे पैदल चलने का उत्साह भर दिया है। इसीलिए बहुत से सम्पन्न लोग भी पैदल चलने मे अपना गौरव समझते हैं । जो पैदल नही चल सकते वे भी चाहते तो यही हैं कि पैदल चलें। इसलिए कुछ लोग तो ठेठ कलकत्ते से पैदल ही चल रहे है । उनमे दौलतराम जी छाजेड, जसकरणजी दूगड तथा पानी वाई आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय है। रात्रिकालीन विश्राम आज भी हमने एक पुलिस थाने मे ही लिया था । उत्तरप्रदेश सरकार ने हमारे लिए सुविधा कर दी है कि जहा भी
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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