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________________ ५.४.६० चैत्र शुक्ला नवमी का वह स्वणिम प्रभात । उमडते जन समूह का उल्लास भरा स्रोत । मधुरता व सरसता से प्रोतःप्रोत वातावरण । निःसन्देह सुघरी के इतिहास का वह पुण्य दिवस था। तेरापथ के आद्य प्रवर्तक महान् क्रान्तिकारी सत भिक्षु द्वारा अत श्रेयस् के लिए जहा से तेरापथ के रूप मे एक क्रान्ति अभियान सप्रवर्तित किया गया था वह ऐतिहासिक नगरी सुधरी, आचार्य भिक्षु के एतद्युगी अध्यात्म-उत्तराधिकारी, राष्ट्र के महान् सत, अणुव्रत-आन्दोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी के अभिनन्दन मे हर्ष विभोर थी। क्या बच्चे, क्या बूढ़े सबके रोम-रोम मे अनिर्वचनीय आनन्द परिव्याप्त हो रहा था । आचार्य प्रवर प्रात: सवा पाठ बजे ठाकुर जैतसिंहजी की छत्री मे पधारे। जहा "प्राचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण समारोह का आयोजन किया गया था। गाव के उपकठ मे स्थित यह छत्री ठीक दो सौ वर्ष पूर्व आचार्य भिक्षु द्वारा आत्म-हित के लिए उठाए गए क्रान्त चरण के अवसर पर उनके लिए इसी चैत्र शुक्ला नवमी के दिन विश्राम-स्थली बनी थी। छत्री पर विशाल सभा-मडप निर्मित था । सगमरमर के पत्थर पर प्राचार्य भिक्षु का जीवन-वृत्त उत्कीर्ण कर वहा आरोपित किया गया था। दो शताब्दियो के पश्चात् होने वाले इस ऐतिहासिक समारोह की स्मृति मे एक स्मृति-स्तभ निर्मित किया गया था। उसमे एक सगमरमर का पत्थर खचित था, जिस पर इस ऐतिहासिक उत्सव की आयोजना का उल्लेख था। साथ-ही-साथ आचार्यश्री भिक्षु द्वारा तत्व विश्लेपण के रूप में दिए गए
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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