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________________ १२४ कहता कुछ है और करता कुछ है । इसीलिए आज इतनी दुविधाए हैं । अणुव्रत प्रान्दोलन इसी दुरगी चाल को मिटाने का आन्दोलन है । आज मनुष्य के कार्यो से ऐसा नही लगता कि वह मनुष्य है । अतः उन पैशाचिक प्रवृत्तियों को परास्त करने के लिए ही अरणव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन हुआ है । किसी भी श्रान्दोलन का अकन उसके कार्यकर्ताओ से किया जाता है | साधु लोग जो काम स्वय करते हैं उसी का दूसरो को उपदेश देते हैं । नाज के इस सुविधा बहुल युग मे भी जबकि प्रात. की ठिठुरा देने वाली सर्दी मे लोग रजाइयो मे मुंह ढापे पड़े रहते है, साधु लोग नगे पाव अपनी मंजिल के लिए कूच कर चुके होते हैं । हम इतना कष्ट सहकर ही आप लोगो से कष्ट सहने के अभ्यास करने की बात कह सकते है | अन्यथा हमारी बात सुनेगा ही कौन ? श्राप यह न समझे कि कष्ट सहकर हम कोई दुख अनुभव करते हैं । दुःख मन के माने है । हमे कष्टो को भी आनन्द मे परिवर्तित करना है | अतः अणुव्रती भाई तथा कार्यकर्ता कष्टों से घबराए नही । अपने काम को अबाध गति से चलने दे । तभी 1 वे कुछ काम कर सकेंगे ।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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