SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२३ रामशरणसिंह ने आचार्यश्री के स्वागत में अभिनन्दन पत्र समर्पित क्यिा। ताघमंत्री श्रीमोहनलाल ने अभिनन्दन करते हुए कहा-आचार्य श्री के व्यक्तित्व ने आज यह सिद्ध कर दिया है कि देश को एक सच्चे उपदेशक तथा संयमी पुरुष के मार्ग-दर्शन की आवश्यकता है । आज के इस विनास जुलूस को देखकर मैंने यह अनुभव किया कि लोग आज भी त्याग और संयम में श्रद्धा रखते हैं। मैं अपनी ओर से तथा पजाव सरकार की ओर से पंजाब के अशेप नर-नारियों की ओर से आचार्यश्री का अभिनन्दन करता हूं। तथा यह प्रयत्न करूंगा कि अब आपके वताए हुए मार्ग पर चलकर अपना तया देश का कल्याण करने में सहयोगी बनू । मुझे आशा है पंजाब के लोग भी आचार्य श्री के पजाव आगमन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सादा और संयत बनाएंगे। __ आचार्यत्रो ने अपने सार-संतृप्ट भापण में कहा-वास्तव मे भक्त वही है, जो अपने आराध्य के द्वारा आदिष्ट पथ का अनुगमन करे। मैं देखता हूं आज कल स्वागत संतों का भी होता है और नेताओं का भी । पर जिस प्रकार उन दोनो की कार्य-पद्धति मे अन्तर है उसी प्रकार उनकी स्वागत पद्धति मे भी अन्तर आना चाहिए । मैं मौखिक तथा औपचारिक स्वागत मे तथ्य नही समझता । मैं तो अपने स्वागत को तभी तथ्य-तप्त मानूगा जवकि लोग मेरे आने से नैतिक, सदाचारी तथा चरित्रनिप्ठ वनें । मैं इसीलिए देश के कोने-कोने में घूम रहा हूं। यदि कोई मुझे अपना आराध्य मानता है तो मैं चाहूगा कि वह पहले सदाचार और सयम के मार्ग पर चलने का प्रयास करे । अन्यथा मेरा स्वागत भी ऊपरी और औपचारिक ही होगा। __मध्याह्न में ढाई बजे पजाव अणुव्रत समिति के वार्षिक अधिवेशन में आचार्यत्री ने कार्यकर्ताओ को अगुव्रत का प्रसार करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा-आज मनुष्य दुरंगी चाल चल रहा है। वह
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy