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________________ २१-१-६० प्रात काल विहार मे पहले प्राचार्य श्री स्वर्गीय बाबू रामलालजी के घर उनकी पत्नी को दर्शन देने के लिए पधारे। आचार्य श्री ने उन्हे इस असमय-वज्रपात से सभलने की प्रेरणा दी। जिससे उन्हे बहुत सात्वना मिली। विहार के समय यहाँ के अनेक कार्यकर्ता बहुत दूर तक पहुचाने पाए और भविष्य मे अणुव्रत भावना को यहाँ के वातावरण में सजीव रखने का सकल्प व्यक्त किया। मत्री मुनि के स्वर्गगमन के सवादो से वातावरण आई हो रहा है । एक तार सरदारशहर से श्री जयचन्दलालजी दफ्तरी का आया । उन्होने 'लिखा था-मत्री मुनि के निधन पर सारा तेरापथी समाज शोकातुर है। यहां के सारे बाजार तथा गवर्नमेट आफिस बन्द रहे । शव-यात्रा मे लगभग २५-३० हजार आदमी थे। बाहर से बहुत लोग पाए । जैन और जनेतरो ने समान रूप से शव-यात्रा में भाग लेकर मत्री मुनि के प्रति जनसाधारण को श्रद्धा को अभिव्यक्त किया। एक सवाद सुजानगढ निवासी शुभकरणजी दस्सानी का आया । उन्होने लिखा था कि इस अवसर पर मत्री मुनि के अचानक निधन का समाचार पाकर मुझे खेद हुआ । निश्चय ही उनके निधन से समाज मे एक ऐसी रिक्तता हुई है जो निकट भविश्य मे पाटी नहीं जा सकती। “उनके निधन से प्राचार्य प्रवर ने एक महान् परामर्शदाता ही नहीं खोया अपितु एक ऐसा व्यक्ति खो दिया है जो उनके जीवन की भाग्यश्री तथा
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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