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________________ विचारवान् सज्जनोंके पढ़ने योग्य उत्तम पुस्तकें / 1 दर्शनसार / इसके कर्ता विक्रम संवत् 990 में हुए हैं। प्राकृतका ग्रन्थ है। इसमें श्वेताम्बर, काष्ठासंघ, यापनीय, माथुरसंघ, बौद्ध, आजीवक, आदि अनेक दर्शनों या मतोंकी उत्पत्तिका इतिहास दिया है। मूल प्राकृत, संस्कृतछाया, हिन्दी अर्थ और जैनहितैषीसम्पादक नाथूराम प्रेमीके लिखे हुए विस्तृत विवेचनसहित यह पुस्तक छपी है / मूल्य चार आने। 2 विद्वद्रनमाला (प्रथम भाग) इसमें आचार्य जिनसेन, गुणभद्र आशाधर, वादिराजसूरि, मल्लिषेणसूरि, अमितगति, और समन्तभद्र इन आचार्योंका इतिहास बड़ी खोजके साथ सैकड़ों प्रमाणों सहित लिखा गया है। लेखक, नाथूराम प्रेमी / मूल्य आठ आने / 3 कर्नाटक जैन कवि / लेखक, नाथूराम प्रेमी / कर्नाटक प्रान्तमें कनड़ी भाषाके बड़े बड़े नामी कवि और लेखक जैनधर्मके पालनेवाले हुए हैं / इस तरहके 75 कवियोंका और उनके ग्रन्थोंका ऐतिहासिक परिचय इस पुस्तकमें दिया गया है / मूल्य लागतसे आधा केवल आधा आना। विवाहका उद्देश्य / लेखक, बाबू जुगलकिशोरजी मुख्तार ।जैनग्रन्थोंके अनेक प्रमाण देकर इसमें विवाहके उद्देश्यपर शास्त्रीय पद्धतिपर विचार किया गया है / मूल्य एक आना। 5 हिन्दीजैनसाहित्यका इतिहास / लेखक, नाथूराम प्रेमी। पृष्ठसंख्या 120 / मूल्य छह आने / इसमें प्रारंभसे लेकर अबतकके जैन कवियों, ओर उनके हिन्दी ग्रन्थोंका परिचय दिया गया है, और स्वतंत्रतापूर्वक जैनसाहित्यकी आलोचनाकी गई है। मैनेजर, जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, गिरगाँव-बम्बई। 119
SR No.010627
Book TitleGranth Pariksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1917
Total Pages123
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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