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________________ (४) लौरिया अरराज, (५) लौरिया नन्दनगढ़ (६) रामपुरवा । अन्तिम तीन स्थान विहार के चम्पारन जिले में हैं। (८) चार गौण स्तम्भ (ई० पू० २४२-ई० पू० २३२)--इनमें से दो लेख साँची और सारनाथ की लाटों पर खुदे हुए है और दो प्रयाग के स्तम्भ पर पीछे मे जोड़ दिये गये हैं। __ अशोक का व्यक्तित्व, उसका राजनीति-दर्शन और तत्कालीन भारत की परिस्थिति, इन लेखों से स्पष्टतः व्यंजित होते है । सब से पहले अशोक की बुद्धभक्ति है, जिसने अशोक को अशोक बनाया। अशोक का विश्व इतिहास में जो कुछ भी स्थान है' या अपने राजनीति-दर्शन के रूप में अशोक जो कुछ भी विश्व को दे गया है, वह सब बुद्ध का एक छोटा सा दान है । उससे अधिक भी बहुतों ने पाया है, यद्यपि इतिहास में उनका नाम नहीं है । अशोक ने वुद्ध मे जो कुछ पाया, उसे वह स्वयं भी ज्ञानपूर्वक समझता था । भीषण कलिंग-युद्ध के बाद उसके हृदय में जो ग्लानि पैदा हुई थी, उसका उसने अपने तेरहवें शिलालेख में मार्मिक वर्णन किया है । यह उसके लिये एक युगान्तकारी घटना थी। इसके बाद उसने निश्चय किया कि संसार में क्षेम, संयम, चिन-शान्ति और प्रसन्नता की ही वृद्धि करूँगा, शान्ति, मद्भाव और अहिंसा का ही प्रचार करूंगा । यही सर्वोनम विजय होगी। रणभेरी को छोड़कर उसने धर्म-घोप मे ही दिगाओं को गुंजायमान करने का निश्चय किया। यही उसका 'प्रियदर्शी' रूप था। अशोक पहले नर-हत्यारा था, चंडाशोक था । वुद्ध-अनुभाव से वह देवताओं और मनुष्यों का प्यारा हुआ, धर्माशोक हुआ । अशोक के इस जीवन-परिवर्तन में कहाँ तक बौद्ध प्रभाव उत्तरदायी था अथवा कहाँ तक यह उसके स्वतंत्र विचार और चिन्तन का परिणाम था, इसके विषय में विवाद करने की गुंजायश नहीं है । विसेन्ट स्मिथ का यह कहना कि अशोक अपने धर्म-परिवर्तन का श्रेय किमी दूसरे को नहीं देना चाहता था,२ ?. "Amidst the tens and thousands of names of monarchs that crowd the columns of History......the name of Asoka shines, and shines almost alone a star'' एस० जी वेल्स अपनी 'आउट लाइन ऑव हिस्ट्री' में।। २. स्मिथ ने इस बात पर जोर दिया है कि अशोक ने जिस धर्म का अपने शिला लेखों में उपदेश दिया है वह तो संपूर्ण भारतीय धर्मों का वह समन्वित रूप
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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