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________________ ( ४५६ ) (१) अनुलोम-पट्ठान--धम्मों के पारस्परिक प्रत्यय-संबंधों का विधानात्मक अध्ययन । (२) पच्चनिय-पट्ठान--धम्मों के पारस्परिक प्रत्यय-संबंधों का निषेधात्मक अध्ययन । (३) अनुलोम-पच्चनिय पट्ठान-धम्मों के पारस्परिक प्रत्यय-संबंधों का विधानात्मक और निषेधात्मक अध्ययन । (४) पच्चनिय-अनुलोम पट्ठान--धम्मों के पारस्परिक प्रत्यय-संबंधों का निषेधात्मक और विधानात्मक अध्ययन। ग्रन्थ के आरम्भ में एक भूमिका है, जिसका नाम 'पञ्चय-निद्देस' (प्रत्यय निर्देश) है। इसमें उन २४ प्रत्ययों का उल्लेख और संक्षिप्त विवरण है, जिनके आधार पर धम्मों का उदय और अस्तंगमन सारे ग्रन्थ में दिखाया गया है। स्यामी संस्करण की पहली जिल्द में यह भूमिका-भाग ही आया है। मूल ग्रन्थ के उपर्युक्त ४ भागों में से प्रत्येक की विषय-प्रतिपादन शैली समान ही है। केवल प्रथम भाग के आधार पर शेष तीन में विषय-विवरण संक्षिप्त अवश्य दिया गया है । स्यामी संस्करण की २, ३, ४, और ५ जिल्दों में केवल प्रथम भाग आया है । शेष तीन भाग छठी जिल्द में हैं । प्रथम भाग की अध्याय-संख्या इस प्रकार है--२२+ ८९-१३२+९४---४२-४८=३२७ । इससे पट्टान के वृहत् आकार की कुछ कल्पना की जा सकती है। उपर्युक्त चार भागों में विधानात्मक आदि अध्ययन-क्रम से २४ प्रत्ययों का संबंध धम्मों के साथ दिखाया है। प्रत्येक भाग में यह अध्ययन-क्रम छह प्रकार ने प्रयुक्त किया गया है। इसका अर्थ यह है कि इन चार भागों में से प्रत्येक छह-छह उपविभागों में और भी बटा हुआ है, जैसे कि (2) तिक-पट्ठान--धम्मसंगणि में प्रयुक्त २२ त्रिकों के वर्गीकरण को लेकर धम्मों के साथ २४ प्रत्ययों का संबंध-निरुपण । (२) दुक-पट्ठान--धम्मसंगणि में प्रयुक्त १०० द्विकों के वर्गीकरण को लेकर धम्मों के साथ २४ प्रत्ययों का संबंध निरुपण । (३) दुक-तिक-पट्ठान--उपर्युक्त १०० द्विकों और २२ त्रिकों को लेकर पूर्ववत् अध्ययन । (४) तिक-दुक-पट्ठान--उपर्य क्त २२ त्रिकों और १०० द्विकों को लेकर पूर्ववत् अध्ययन ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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