SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०. क्या भूत, वर्तमान और भविष्यत् के पदार्थों का अस्तित्व एक प्रकार से है और दूसरे प्रकार ने नहीं ? अन्धकों का ऐसा विश्वास, किन्तु स्थविगे द्वारा खंडन । दूसरा अध्याय ११. क्या अर्हन का वोर्य-पतन सम्भव है ? पूर्वशैलीय और अपरशैलीय भिक्षुओं का विश्वास था कि भोजन-पान के कारण यह सम्भव है । स्थविरों ने इने नहीं माना है। १२-१४. क्या अर्हत के अजान और संशय हो सकते हैं और दूसरों में वह परा जित किया जा सकता है ? पूर्वशैलीय भिक्षओं का विश्वास था कि लौकिक ज्ञान के विषय में यह सर्वथा सम्भव है । स्थविरों ने इसका विरोध नहीं किया, किन्तु अर्हत को कभी भी अविद्या या विचिकित्मा हो सकती है इमे उन्होंने नहीं माना। १५. क्या ध्यानावस्था में वाणी-व्यापार भी सम्भव है ? पूर्वगैलीय भिक्षओ का ऐमा विश्वास, किन्तु उमका निराकरण । १६. क्या 'दुःख' 'दुःख' कहने मे स्रोत आपनि आदि चार ब्रह्मचर्य की अवस्थाओं की प्राप्ति हो सकती है ? पूर्वगैलीय भिक्षओं के इस मिथ्या विश्वान का निराकरण । १७. क्या कोई बिन अवस्था सम्पूर्ण दिन भर रह सकती है ? अन्धकों के इम विश्वास का निराकरण । १८. क्या मभी संस्कार तप्त, दहकते हुए अंगारों के समान है ? भगवान् के एक वचन के अनुसार गोकुलिक भिक्षु सभी संस्कारों को दुःन्म-मय ही मानते थे। म्थविग्वादियों ने क्षणिक सुखमय संस्कारों की भी मनः मानी है। १०. क्या वाचर्य को चार अवस्थाओं (स्रोत आपत्ति आदि) का नाक्षात्कार विभागगः होता है। अन्धक, सब्बत्थिवादी. मम्मितिय और भद्रयानिक भिधओं का ऐमा ही विश्वास । स्थविग्वादियों का मत सिद्धान्त-सं८ के समान ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy